संभव अभियान ने लौटाई मुस्कान नितिन की कुपोषण से जंग की कहानी
लखनऊ: नितिन जब डेढ़ साल का था वो बहुत कमजोर था क्यूंकि उसका वजन कम था, जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उषा मिश्रा उसके घर संभव के अभियान के समय पहुंची तो देखा वो बहुत सुस्त था शरीर बहुत ही कमजोर और माता-पिता दोनों चिंतित। उसने गांव सोठिया कला के आंगनबाड़ी केंद्र पर जब जून महीने में उसका वजन किया तो वजन 7.4 किलोग्राम पाया गया, तो आंगनबाडी कार्यकर्ता उषा मिश्रा ने तुरंत गंभीरता को पहचाना। नितिन को गंभीर कुपोषण की श्रेणी में चिन्हित किया गया, और उसकी स्थिति में चिकित्सकीय जटिलताएं भी थीं।
संभव अभियान के तहत प्रशिक्षित उषा ने न केवल परिवार को समझाया, बल्कि एएनएम के सहयोग से नितिन को न्यूट्रिशन रिहैबिलिटेशन सेंटर में भर्ती भी करवाया। यह वही पहल थी जिसने जिले में कुपोषित बच्चों की पहचान, उपचार और पुनः निगरानी की एक मजबूत प्रणाली खड़ी की थी।
न्यूट्रिशन रिहैबिलिटेशन सेंटर में इलाज के दौरान नितिन को विशेष पोषण और चिकित्सा देखभाल मिली। माता-पिता को सही आहार, स्वच्छता और देखभाल के तरीके सिखाए गए। कुछ ही हफ्तों में नितिन का वजन बढ़कर 8.5 किलोग्राम हो गया और वह छत्ब् से स्वस्थ होकर घर लौटा।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती-
प्रमुख सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास सेवा पुष्टाहार लीना जौहरी ने बताया कि संभव अभियान की सबसे बड़ी ताकत है, डिस्चार्ज के बाद भी सतत निगरानी। उषा मिश्रा ने नितिन के घर नियमित दौरे किए, परिवार को पोषण संबंधी सलाह दी, और यह सुनिश्चित किया कि नितिन की प्रगति बनी रहे। जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय में सभी छत्ब् से डिस्चार्ज हुए बच्चों की लाइन लिस्ट तैयार की गई, और हर बच्चे की स्थिति पर लगातार निगरानी की गई।
सितम्बर में फिर से जाँच की गयी उसका वजन 8.5 किलो था और लम्बाई में भी सुधार आया जो कि पहले से बेहतर था अब नितिन स्वस्थ है, खेलता है, मुस्कुराता है। उसकी मां रेखा कहती हैं, पहले तो डर लगता था कि हमारा बच्चा ठीक हो पाएगा या नहीं, लेकिन उषा दीदी ने हमें उम्मीद दी।
संभव अभियान ने यह साबित कर दिया कि जब प्रशिक्षण, समर्पण और प्रणाली एक साथ काम करते हैं, तो कुपोषण जैसी चुनौती भी मात खा जाती है।
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