लैंगिक संवेदनशीलता और (POSH) प्रीवेंशन आफ सेक्सुअल हैरेसमेंट अधिनियम 2013 पर जागरूकता कार्यक्रम

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी गोरखपुर के प्रो. शूभी धूसिया, प्रो. सुधा यादव तथा डॉ मनीष पांडे के टीम द्वारा रिक्रूट महिला आरक्षियों के साथ निम्न बिंदुओं पर चर्चा की गई।
लैंगिक संवेदनशीलता: लैंगिक संवेदनशीलता का अर्थ है कार्य स्थल पर सभी व्यक्तियों के साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करना।
पॉश अधिनियम: पॉश अधिनियम कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम और निवारण के लिए एक महत्वपूर्ण कानून पर वृहद चर्चा।
अधिनियम का महत्व:
- यह अधिनियम महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करता है|
- यह अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण बनाने में मदद करता है|
- यह अधिनियम यौन उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|
इस कार्यक्रम का उद्देश्य कार्यस्थल पर लैंगिक संवेदनशीलता और यौन उत्पीड़न के रोकथाम के लिए जागरूकता बढ़ाना तथा महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें कार्य स्थल पर सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण प्रदान करना था।
अपने संबोधन के दौरान प्रोफेसर धुसिया ने लैंगिक संवेदनशीलता और यौन उत्पीड़न की रोकथाम के विभिन्न तरीकों, व्यवहारों और सदाचारों के बारे में बताते हुए सभी को आम जनमानस में जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रेरित किया।
प्रोफेसर की टीम ने बताया की सामाजिक असमानता, जिसमें लिंग, जाति, वर्ग, और धर्म जैसे कारकों के आधार पर भेदभाव शामिल है, महिलाओं के लिए पुलिसिंग जैसे क्षेत्रों में प्रवेश और प्रगति में बाधाएं पैदा करती है। महिला पुलिस अधिकारियों को न केवल संगठनात्मक स्तर पर, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

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