वैज्ञानिक विधि से करें खेती ,उठाये लाभ
देवरिया- मौसम आधारित राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह (क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप) की वर्ष 2025-26 की बैठक में प्राप्त सुझावों के आधार पर जिला उद्यान अधिकारी, देवरिया ने जनपद के कृषकों एवं बागवानों से अनुरोध किया है कि वे अपनी फसलों को कीटों एवं रोगों से सुरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिक सलाहों का पालन करें, जिससे बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता प्राप्त हो सके।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में कद्दूवर्गीय फसलों में फुदका कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। इसके बचाव के लिए फसल की तुड़ाई के बाद एमिडाक्लोपिड 30.5% एससी की 1 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। फल मक्खी से बचाव के लिए क्यू-ल्योर फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर 8 से 10 की संख्या में लगाएँ तथा नीम सीड कर्नेल एक्सट्रैक्ट (NSKE) 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
मिर्च की फसल में पर्ण कुंचन व मोज़ेक रोग के लक्षण दिखाई देने पर एमिडाक्लोपिड 30.5% एससी की 1 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना उपयोगी होगा। बैंगन एवं टमाटर में तना व फल भेदक कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरेनट्रानिलीप्रोल की 1 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। भिंडी की फसल में पित्तशिरा मोज़ेक रोग के लक्षण दिखने पर संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट करें तथा प्रति हेक्टेयर 8 से 10 नीले चिपचिपे ट्रैप लगाएँ। इसके साथ ही नीम ऑयल 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
फलवृक्षों के लिए उन्होंने बताया कि आम में यदि फलों में फ्रूट निक्रोसिस के लक्षण दिखें, तो बोरैक्स 6 से 8 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पर्णीय छिड़काव करें। कैटरपिलर कीट के नियंत्रण हेतु क्लोरपायरीफॉस 50% व साइपरमेथ्रिन 5% मिश्रित कीटनाशक या इमामेक्टिन बेंजोएट की 0.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
आम व अमरूद में फल मक्खी से बचाव के लिए मिथाइल यूजिनॉल फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर 8 से 10 की संख्या में लगाएँ तथा नीम सीड कर्नेल एक्सट्रैक्ट 5% घोल का छिड़काव करें। लीची के फलों में बेधक कीट के नियंत्रण हेतु इंडोक्साकार्ब 14.5% एससी की 0.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
फलों के फटने से बचाव के लिए खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखें और बोरॉन 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, दूसरा छिड़काव 8 से 10 दिन बाद करें।नींबू की टहनियों में यदि उकठा रोग दिखाई दे, तो जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट 50 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। फूल आने की अवस्था में सिंचाई से बचें।
उन्होंने यह भी बताया कि तेज हवा चलने की स्थिति में किसी भी प्रकार के रसायनों या उर्वरकों का छिड़काव न करें। कद्दूवर्गीय शाकभाजी की बुवाई केवल उचित नमी की स्थिति में करें। आम, केला और पपीता जैसे फलों में तेज हवा से फसल गिरने की संभावना रहती है, कटाई व अन्य कार्य केवल मौसम सामान्य होने पर ही करें।
जिला उद्यान अधिकारी ने अंत में किसानों से अनुरोध किया कि वे इन मौसम आधारित वैज्ञानिक सुझावों को अपनाकर अपनी फसलों की रक्षा करें और उत्पादन के साथ-साथ आय में भी वृद्धि करें। अधिक जानकारी के लिए कृषक स्थानीय उद्यान कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
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