एक लड़की की है ये कहानी
लोगों सुन लो मेरी जुबानी ।
पहली बार वो घर से निकली
जा पहुंची वो संगम नगरी ।
गई वहां रोजगार कमाने
संग पिता के हाथ बटाने ।
आस लगा के मां भेजी थी
कुछ कमाई कर घर लानी थी ।
बड़ी ही सीधी थी वो लड़की
पर लोगों ने समझा ठरकी ।
वहां बेचने गई थी मनके
पर मीडिया वाले आ गए तनके ।
चैन की सांसे ले ना पाई
सवालों के घेरे में आई ।
मनके तो वो बेच ना पाई
परेशान हो घर को आई ।
टूट गए सब उसके सपने
साथ दिया ना कोई अपने ।
ये घटना सुन सन्न हुई मैं
जान के हरकत दंग हुई मैं ।
कैसे कोई लड़की करे व्यापार
रहा ना लोगों में कोई सदाचार ।
संजुला सिंह “संजू “
जमशेदपुर
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