गेंदे के फूल की खेती से खुलेगी समृद्धि का द्वार

वर्तमान समय में मंदिरों, तीर्थ स्थलों, धार्मिक-सामाजिक आयोजनों में गेंदे के फूल की अच्छी खासी मांग है जिसे पूरा करने के लिए जनपद में गेंदे के फूल की आपूर्ति वाराणसी, लखनऊ एवं अन्य निकटवर्ती जनपदों से हो रही है। जनपद में लगभग 95 प्रतिशत फूल बाहर से आ रहा है।
ग्राम बहोरवा, भाटपाररानी के किसान रविशंकर की कहानी इसकी मिसाल हैं। उन्होंने उद्यान विभाग की अनुसूचित जाति/जनजाति (राज्य सेक्टर) योजना का लाभ उठाते हुए 0.20 हेक्टेयर में गेंदे की खेती की। विभागीय अधिकारियों के मार्गदर्शन और सहायता से उन्होंने रु 12-14 हजार के निवेश पर खेती शुरू की। उनकी फसल इतनी अच्छी हुई कि उन्हें करीब एक लाख रुपये से अधिक की आय हुई है। रविशंकर का कहना है, उद्यान विभाग की योजनाओं और समय-समय पर मिली सलाह से खेती में सफलता मिली है। कम लागत में इतना मुनाफा सोचा भी नहीं था।

गेंदे के फूलों की बढ़ती मांग एवं जनपद की अनुकूल जलवायु और सरकारी सहयोग से यहां के किसान एक नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सशक्त कर रहा है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहा है।
जलवायु है अनुकूल, योजना का उठाये लाभ-
देवरिया की जलवायु गेंदे की खेती के लिए बेहद अनुकूल है। यहां की मिट्टी और मौसम की परिस्थितियां इस फसल की पैदावार के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं, जिससे कम लागत और मेहनत में भी किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।
उद्यान विभाग की योजना के अंतर्गत किसानों को कुल लागत का 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है, जो रु 16,000 प्रति हेक्टेयर तक है। इस योजना ने छोटे और सीमांत किसानों के लिए नई संभावनाएं पैदा की हैं। जनपद में मंदिरों और धार्मिक आयोजनों की अधिकता है, गेंदे की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
Facebook Comments