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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 6 Nov 2024 4:13 PM |   437 views

आस्था का महापर्व “छठ

छठ  पर्व सनातन धर्मों का सबसे अधिक आस्था वान और प्रभावशाली पर्व है। यह पर्व हमारे जीवन में सुख – शान्ति और सौहार्द को लाता है। इस पर्व में सूर्य नारायण भगवान की पूजा होती है ।यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल  पक्ष के चतुर्थी तिथी से प्रारंभ होकर सप्तमी तिथि को सम्पूर्ण होता है ।यह पर्व चार दिवसीय पर्व कहलाता है ।इस पर्व में सूर्य , जल और वायु की पूजा के साथ ही साथ उगते हुए और डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। इसमें 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया की पूजा करने से व्रति को आरोग्यता, सुख समृद्धि एवं संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।चार दिनों के इस महापर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है|
 
प्रथम दिवस “लौकी भात ” के नाम से जाना जाता है।जिसे नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है।
द्वितीय — “खरना ”  के नाम से ,
तृतीय —— पहली अधर्य के नाम से 
चतुर्थ —– द्वितीय अर्घ्य अथवा पारण के नाम से जाना जाता है।
 
यह पर्व पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाने वाला पर्व है।इस पर्व में स्वच्छता का खास ख्याल रखा जाता है।इस व्रत को करने वाले व्रतधारी हमेशा अपने मन को एकाग्र रखने को यथा संभव प्रयासरत रहते हैं।इस पर्व को स्त्री अथवा पुरुष दोनों वर्ग के लोग करते हैं ।
 
पहले इस पर्व को ज्यादातर बिहार और झारखंड के लोग मनाते थे परन्तु , अब तो लगभग सभी प्रांतों के लोग इस पर्व को पूरी आस्था से मनाने लगे हैं ।यहां तक कि इस पर्व को कुछेकमुस्लिम घरों में भी मनाया जाने लगा है । दरअसल यह पर्व सच में अपने आप मे अद्वितीय पर्व है ।इस पर्व का मुकाबला अन्य किसी पर्व से नहीं किया जा सकता ।
 
यह पर्व हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र पर्व माना जाता है।इस पर्व के प्रारंभ होने से पहले ही लोग इसकी तैयारियां करने में जुट जाते हैं क्योंकि यह पर्व बहुत ही कठिन भी है । इस पर्व की तैयारियां भी लोग बड़ी सतर्कता पूर्वक करते हैं।स्वच्छता में कोई भूल ना हो इस बात का विशेष ख्याल रखते हैं।
छठ व्रत रखने वाले व्रतधारियों को पूजा के दौरान जमीन पर शयन करना पड़ता है।व्रती किसी भी प्रकार का वेड का इस्तेमाल नहीं करते है ।
 
इस पर्व का मुख्य प्रसाद “ठेकुआ ” और लडुवा कहलाता है जबकि  इस पर्व में कई प्रकार के फलों का भी इस्तेमाल किया जाता है।छठ पर्व के प्रसाद को लोग बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ  ग्रहण करते हैं ।इस प्रसाद को पाने के लिए लोग ललायित रहते हैं ।
 
बड़े- बड़े लोग भी इस प्रसाद को मांग कर खाने में  भी संकोच नहीं करते हैं । इस पर्व का प्रसाद इतना खास और महत्वपूर्ण होता है। कुल मिलाकर यूं कहें कि यह पर्व हिन्दू धर्म का सर्वश्रेष्ठ और बहुत ही आस्थावान पर्व है।
 
-संजुला , जमशेदपुर
 
 
 
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