मानव जीवन में संग्रहालयों की प्रासंगिता विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा0 प्रदीप तिवारी, अध्यक्ष बुन्देलखणड पर्यटन एवं पुरातत्व संरक्षण समिति के अध्यक्ष रहे। प्रदर्शनी में डा0 राजेन्द्र प्रसाद कन्या इण्टर कालेज, झांसी एवं सरस्वती विद्या मन्दिर कुलदीप इण्टर कालेज, झांसी के 70 छात्र-छात्राओं ने उपस्थित रहकर प्रदर्शनी का अवलोकन किया और विश्व के संग्रहालयों के विषय में जानकारी हासिल किया। दूसरे सत्र में मानव जीवन में संग्रहालयों की प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता डा0 मनोज कुमार गौतम ने अपने उदबोधन में कहा कि मानव सभ्यता का इतिहास इस सत्य को उजागर करता है कि मनुष्य ने अपने अतीत को सुरक्षित रखने का प्रयास किया, क्योंकि विधाता की सृष्टि में मनुष्य उसकी सर्वश्रेष्ठ रचना है। मनुष्य वर्तमान में जीता है, परम्परा प्रेमी होने के कारण मनुष्य ने विविध रूपों में अपने अतीत को संकलित और दर्शनीय बनाने की चेष्टा की है।
संग्रहालय मनुष्य के उसी चेष्टा के सबल परिणाम हैं। उन्होने यह भी कहा कि इतिहास केवल घटनाओं का संकलन मात्र नहीं है। इतिहास हमें शिक्षा भी देता है और प्रेरणा भी। इतिहास अमूर्त होता है। संग्रहालय उसी इतिहास को मूर्त बनाते हैं अर्थात इतिहास के महत्वपूर्ण संदर्भों को स्थूल रूप में हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं। मनुष्य का मन अमूर्त से उतना प्रभावित नही होता, जितना मूर्त से। जब हमें साकार स्मृति अपने अतीत की दिखाई देती है, तब अतीत हमारे मन में अधिक स्पष्ट उभरता है। संग्रहालय यही कार्य करते हैं।
दूसरे वक्ता डा0 मनोज यादव ने अपने उदबोधन में कहा कि विश्व में अनेक प्रकृति संग्रहालयों की स्थापना हुई है जिसमें पुरातत्वीय संग्रहालय महत्वपूर्ण भमिका अपने संस्कृति विरासत के संरक्षण में महत्वपूण भूमिका निभाते है। संग्रहालय हमारे संस्कृति के थाती है और हमें संग्रहालयों को समझने की आवश्यकता है तभी हम अपने संस्कृति विरासत को संरक्षित कर सकते है।
प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए डा0 प्रदीप तिवारी ने कहा कि आज की यह प्रदर्शनी इतिहास, संस्कृति एवं विरासत का अदभुत संग्रह है और जिज्ञासुओं की जिज्ञासा को शान्त करने में सक्षम है।
उन्होन यह भी कहा कि संस्कृति विरासत को संरक्षित करने में संग्रहालयों की भूमिका अद्वितीय और अदभुत है। कार्यक्रम के उपरान्त स्कूली छात्र-छात्राओं को संग्रहालय का भ्रमण कराया गया और बच्चों ने संग्रहालय का भ्रमण कर अपने इतिहास एवं संस्कृति की जानकारी प्राप्त किया।

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