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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 6 Mar 2024 5:31 PM |   440 views

आम के फूलों को कीट एवम रोगों से बचाये: डॉ रजनीश श्रीवास्तव

भाटपाररानी -बसंत के आगमन के साथ ही आम के पौधों में बौर (मंजरी) आना शुरू हो जाता है | जिसे देखकर किसान प्रफुल्लित होते हैं लेकिन अगर कोई जतन नहीं किया जाय, तो फूल एवं फल झड़ जाते हैं, जिससे फसल प्रभावित होती है। आम में फल झड़ने की गंभीर समस्या है कभी-कभी तो अच्छी बौर आने के बाद भी पेड़ पर बहुत कम या न के बराबर फल दिखते हैं।
 
आम में फूल और फलों को कीट एवम रोगों से बचने के उपाय के बारे में जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान विशेषज्ञ रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि बौर निकलने के साथ ही रस चूसने वाले कीड़ों जैसे भुनगा (हॉपर) गुजिया (मिली बग )और पुष्प गुच्छ मिज का प्रकोप होता है। भुनागा और गुजिया कीट के शिशु (निम्फ) एवं प्रौढ़ के प्रारोहो,कोमल पत्तियों,फूलों तथा विकसित फलों के रस चूसने से ग्रसित भाग सूखकर गिर जाते हैं। पुष्प गुच्छ कीट के प्रकोप से टहनी पर काले धब्बे दिखाई देते हैं तथा बौर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। ये कीट रस चूसने के साथ-साथ मीठा द्रव्य उत्सर्जित करते हैं, जिससे पत्तियां चिकनी एवं लसलसी होने से काली फफूदी (सूटी मोल्ड) लगने से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है।
 
कीटो के रोकथाम के लिए डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि इमीडाक्लोप्रिड या एसिटामप्रिड  कीटनाशक की 0.3 से 0.4 मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इसी प्रकार खर्रां या दहिया, एंथ्रेक्नोज एवं काली फफूदी रोग लगने से फूल फल गिरने लगते हैं।
 
खर्रा रोग लगने से पुष्पवृंत पुष्प, विकसित फल एवं कोमल पत्तियों पर सफेद चूर्ण दिखाई पड़ते हैं। इसी प्रकार एंथ्रेक्नोज एवं काली फफूदी रोग से प्रभावित होने पर ग्रसित भाग सूख कर गिर जाते हैं। रोगों से बचने के लिए घुलनशील सल्फर ८० डब्लू पी की ३ से २.५ ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।आवश्यकता पड़ने पर दूसरा छिड़काव डाइनोकैप (कैराथेन) ट्राईडीमेफोन (वेलेंटान) की एक ग्राम दवा या कार्बेंडाजिम की २ ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। 
 
बौर को कीट एवम रोगों से बचाव के लिए बताए गए कीटनाशक एवम फफुदनाशक दवा एक साथ मिलाकर छिड़काव करने से समय और धन की बचत की जा सकती है। छिड़काव के लिए घोल बनाते समय कोई चिपकाने वाला पदार्थ जरूर मिलना चाहिए। छिड़काव बौर निकलते समय या सरसों दाने के आकार के होने पर करना चाहिए। ध्यान रहे आम में फूल खिलने की अवस्था में दवाओं का छिड़काव नहीं करना चाहिए।
 
 
 
 
 
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