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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 24 Nov 2023 5:04 PM |   1063 views

हमारा पहनावा

पुरानी कहावत है, ‘Style is a way to say who you are, without having to speak,,’ मायने तो आप समझ ही गए होंगे फिर भी, डिटेल में बाते हो पाए इसलिए थोड़ा मै समझाने की गुस्ताखी करती हूं, यहां ये कहा जा रहा है की आपका पहनावा  बहुत कुछ आपके बारे में कहता है। कपड़े पहनने में शालीनता ज़रूर होनी चाहीए। 
 
मान लीजिए आपका पहनावा ultra mordenize hai, तो आपसे मिलने वाला या तो नज़रे चुरा के बात करेगा या उसकी निगाहें शरारती होगी या फिर उसकी नज़रे आपका मख़ौल उड़ा रहीं होंगी और होना क्या चाहिए था ? कि आपसे मिलने वाले की निगाहे आपके प्रति कॉन्फिडेंट और इज्ज़त से भरी हो। अब ये कहना मुनासिब नहीं की ‘हम जैसे है ठीक है ये सामने वाले की प्रॉब्लम है’। 
 
बहुत हद तक हमारे समाज ने हमारे पहनावे को अपनाया है इसलिए ये जिम्मेदारी हमारी भी बनती है हम अपनी संस्कृति को अपनाए रहे। शादी-विवाह, त्योहार आदि पर तो पारंपरिक लिबास ही पहने, western culture को क्यों अपना रहे है? जहां देखो गाउन पहन कर खड़े हो जाते है हम धोती कुर्ता, कुर्ता पायजामा की जगह कोट पैंट पहन लेते है| 
 
देखिए! अपना पहनावा अपनी पहचान है, हम दूसरो की पहचान से क्यों जाने जाए ? साड़ी, सूट में जो किसी बालिका की सुंदरता निखर के आती है वो किसी भी और ड्रेस में कहा? मैंने कही पढ़ा था कि जीन्स मूल रूप से व्यावहारिक कार्य परिधान के रूप में बनाए गए थे और उनके इंडिगो रंग को चुना गया था ताकि खनिकों और मजदूरों द्वारा पहने जाने पर यह गंदगी को बेहतर ढंग से छिपा सके। फिर आई ‘capries’ ,ये भी सफाई करने वालो के लिए उपयुक्त होती थी और हमने इनका फैशन बना डाला|
 
अब आई बारी torn ya ripped jeans ki तो साथियों हमारे शास्त्र तो कहते है की इस तरह के कपड़े दरिद्रता लाते है।  माना, पसन्द अलग-अलग होती है, और आपके पास अपनी राय रखने का अधिकार है। लेकिन क्या इसका यह अर्थ होना चाहिए कि जब आपके पहनावे की बात आती है तब ‘कुछ भी चलता है?
 
कुछ लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि साधारण कपड़े भी स्टाइलिश होते हैं। उन्हें इस बात का एहसास भी नहीं है कि मामूली फैशन जैसी कोई चीज होती है- लेकिन यह है। आप एक साधारण पोशाक में भी सबसे अच्छे दिख सकते हैं।
 
समझने वाली बात यहां ये है कि हमारा पहनावा कंफर्टेबल होना चाहिए और बस हम खुद ब खुद कॉन्फिडेंट हो जाते है और जो कॉन्फिडेंट होते है वही अट्रैक्टिव होते है। अंत में ये ही कहूंगी कि कपड़े दिल नहीं जीतते या सच्चे मित्र नहीं बनाते। व्यक्ति अपनी प्रतिभा और गुण से पहचाना जाता है और अपनी तेज़ बुद्धि से सराहा जाता है।
 
– श्वेता मेहरोत्रा
 
 
 
 
 
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