विश्व विरासत दिवस के अवसर पर ‘‘हमारी संस्कृति: हमारी विरासत‘‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया
गोरखपुर -राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा विश्व विरासत दिवस के अवसर पर ‘‘हमारी संस्कृति: हमारी विरासत‘‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन आज संग्रहालय के प्रदर्शनी हाल में किया गया।
उक्त प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि रमाशंकर जायसवाल, उप सभापति, पी0सी0एफ0 लखनऊ ने फीता काटकर दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया।
उक्त प्रदर्शनी का अवलोकन कराने के उपरान्त संग्रहालय की तरफ से मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
मुख्य अतिथि रमाशंकर जायसवाल ने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए कहा कि 18 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व धरोहर दिवस का उद्देश्य है दुनियाभर में मानव इतिहास से जुड़े ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों को संरक्षित किया जाए, जिसके लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है।
ऐसा प्रयास निश्चित रूप से भावी पीढ़ी के युवाओं को अपनी विरासत से परिचित कराने का एक सशक्त माध्यम है। इस प्रदर्शनी से हमें अपने गौरवशाली अतीत झलक मिलती है। उन्होंने यह भी कहा कि विलुप्त हो रही ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की दिशा में विश्व धरोहर दिवस पर राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर का यह अनूठा प्रयास बड़ा ही सराहनीय है।
इस अवसर पर धीरज सिंह, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के भी चित्र प्रदर्शित किये गये हैं। जिसमें आगरा का किला, ताजमहल, कोणार्क सूर्य मन्दिर, हम्पी, रामनगर का किला, महापरिनिर्वाण मन्दिर कुशीनगर आदि महत्वपूर्ण स्मारकों के चित्र दर्शकों को मनोहारी एवं ज्ञानवर्धक दिखे।
विश्व धरोहर दिवस को साल 1982 में 18 अप्रैल के दिन मनाने की घोषणा की गई थी और इसके 1 साल बाद ही यानी साल 1983 में यूनेस्को महासभा ने इसे पूरी तरह से मान्यता दे दी, जिससे लोगों में सांस्कृतिक विरासत के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़े और वो इसे देखने के साथ ही इसके संरक्षण को लेकर भी अपनी जिम्मेदारी समझें।
साल 1982 में 18 अप्रैल के दिन इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट के द्वारा पहला ‘विश्व विरासत दिवस‘ ट्यूनीशिया में सेलिब्रेट किया गया था। 1983 के बाद से स्मारकों और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद ने एक विषय निर्धारित किया है और हर साल इसे अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल विश्व विरासत दिवस ‘हेरिटेज चेंजेस‘ थीम के तहत मनाया जाएगा।
विश्व विरासत के अन्तर्गत अनेक वैश्विक स्तर की धरोहरें हैं, जो दुनियाभर में प्रसिद्द हैं, लेकिन अगर हम भारतीय विश्व धरोहरों की बात करें तो भारत में वर्तमान में 40 विश्व धरोहरे हैं। यूनेस्को ने भारत में कुल 40 विश्व धरोहरों को घोषित किया है। इनमें सात प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और एक मिश्रित स्थल हैं। भारत में सबसे पहली बार एलोरा की गुफाओं (महाराष्ट्र) को विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। यूनेस्को द्वारा घोषित सबसे ज्यादा विश्व विरासत महाराष्ट्र में है।
विश्व धरोहर दिवस पर भारत की प्रमुख विरासतों में से लाल किला, अजंता व एलोरा की गुफाएं, नालंदा विश्वविद्यालय, महाबोधि मंदिर, बोधगया, साॅंची के बौद्ध मंदिर, खजुराहों, महाबलीपुरम, हुमायूॅं का मकबरा, सुंदरबन, कोणार्क सूर्य मंदिर, कंचनजंघा नेशनल पार्क, ताजमहल आदि विरासत के छायाचित्र उक्त प्रदर्शनी के आकर्षण के केन्द्र हैं।
संग्रहालय के उप निदेशक डाॅ0 मनोज कुमार गौतम ने कहा कि किसी भी देश की पहचान, वहां की सभ्यता की जानकारी इन धरोहरों से ही पता चलती है। जो निश्चित रूप से देश का गौरव बढ़ाने का काम कर रही हैं।
कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर डाॅ0 शोभित श्रीवास्तव, प्रभाकर शुक्ला, अमरपाल सिंह, मनीष यादव, मनीष तिवारी, मनीष मोहन, डाॅ0 ओमप्रकाश मणि त्रिपाठी, डाॅ0 अनिल योगी, शिवांश सिंह, अनिल मौर्य, सन्तोष मिश्रा, रितेश शाही, रमेश शर्मा, रत्नेश्वर पाण्डेय, भालचन्द्र मिश्र, अमरनाथ श्रीवास्तव, रीता श्रीवास्तव, अमृता मेहरोत्रा, अराध्या राय, नीलम त्रिपाठी, ओजस्वी राय, आदि सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।