‘डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर एवं उनका जीवन दर्शन‘‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया
गोरखपुर -आज़ादी की अमृत महोत्सव एवं संग्रहालय के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के अन्तर्गत विश्वभूषण, बोधिसत्व, संविधान एवं राष्ट्र निर्माता, मानवता के मसीहा, शोषितों वंचितो एवं महिलाओं के मुक्तिदाता परमपूज्य बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर जी के जन्म दिवस के अवसर पर आज अपरान्ह 3.30 बजे से राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर में ‘‘डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर एवं उनका जीवन दर्शन‘‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि परमहंस यादव द्वारा किया गया।
इस छायाचित्र प्रदर्शनी में भारत रत्न डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को दुर्लभ चित्रों एवं अभिलेखों के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया गया है और उनके सम्बन्ध में अनछुए पहलुओं को भी दिखाया गया है।
प्रदर्शनी में उनके द्वारा सम्पादित समाचार-पत्रों जैसे बहिष्कृत भारत, मूक नायक की प्रतियों के साथ साथ दुर्लभ छायाचित्रों एवं घटनाओं जैसे आन्दोलन में महिला कार्यकत्र्ताओं के साथ, संविधान निर्माण की प्रारूप समिति के साथ में डाॅ0 अम्बेडकर, नागपुर में 14 अक्टूबर, 1956 को अपने लाखों अनुयाइयों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते हुए, संत गाडगे महाराज के साथ में, दिसम्बर, 1931 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेते हुए, सेंट जेम्स पैलेस आदि अनेक घटनाक्रम को दुर्लभ चित्रों के माध्यम से दिखाया गया है।
मुख्य अतिथि परमहंस यादव पूर्व पुलिस उपाधीक्षक, उ0प्र0 ने कहा कि बाबा साहब सिंबल आफ नालेज हैं। उनको अनेक विभूषणों से अलंकृत किया जा सकता है। जैसे- नारी वर्ग के उद्धारक, सामाजिक एवं शैक्षिक क्रान्ति के अग्रदूत, युगद्रष्टा एवं बीसवीं सदी के स्मृतिकार, उच्च कोटि के अर्थशास्त्री, महान विधिवेत्ता, शिक्षाविद, भारत के अब्राहम लिंकन, बौद्ध धर्म के उद्धारक, स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, विश्वभूषण, बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहेब डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर को शत-शत नमन है। आज का आधुनिक भारत बाबा साहब के प्रयासों का ही भारत है।
डाॅ0 अम्बेडकर द्वारा शोषितों, वंचितो एवं महिलाओं की दशा सुधारने तथा उनकी उन्नति हेतु किये गये प्रयासों तथा कार्यो को कभी भुलाया नही जा सकता।
उन्होंने यह भी कहा कि बाबा साहब का सम्पूर्ण जीवन संघर्ष राष्ट्र को समर्पित रहा है। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुलनीय योगदान रहा है। उनका जीवन ही उनका दर्शन है। हम और हमारी युवा पीढ़ी उनके बताये रास्तों पर चलकर ही राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान दे सकते हैं।
संग्रहालय के उप निदेशक ने प्रदर्शनी के सम्बन्ध में बताते हुए कहा कि बाबा साहेब का यह संदेश था कि शिक्षा ही समाज में समानता ला सकती है, जब मनुष्य शिक्षित हो जाता है, तब उसमें विवेक और सोचने की शक्ति पैदा हो जाती है और तब वह न तो खुद अत्याचार सहन कर सकता है और ना ही दूसरों पर अत्याचार होते देख सकता है। उनके तीन मंत्र शिक्षित बनों, संगठित रहो तथा संघर्ष करो से देश महान बन सकता है। जीवन पर्यन्त उन्होंने अपने जीवन में स्वयं इस संदेशों का पालन किया। अपने इसी संदेश की पूर्ति हेतु शिक्षा के लिए भी उन्होंने संविधान में विशेष प्राविधान किये।
डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर मानवता, समानता, समरसता आदि भावनाओं के प्रखर सम्पादक भी थे और संविधान में इन सभी तथ्यों की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
डाॅ0 अम्बेडकर ने संविधान में अछूतोद्धार एवं सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विषमता को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किये और सफल भी रहे। आजादी की लड़ाई में दो धारा थी। एक धारा देश को केवल राजनैतिक गुलामी से मुक्ति दिलाना चाहता था, दूसरी धारा जिसका नेतृत्व डाॅ0 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर कर रहे थे, उनका विचार था कि केवल राजनीतिक गुलामी की मुक्ति से राष्ट्र निर्माण नहीं होगा, बल्कि सामाजिक दासता से भी मुक्ति मिलना आवश्यक है। यही कारण है कि उनके द्वारा बनाया गया संविधान आगे बढ़ने में प्रेरणा स्रोत बना हुआ है और जिसके कारण भारतीय जनसामान्य में आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक आदि स्तर में निरन्तर बदलाव आया है।
कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर रविन्द्र कुमार, क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी, डाॅ0 जितेन्द्र कुमार, सुभाष दूबे, राकेश श्रीवास्तव, प्रभाकर शुक्ला, मनीष तिवारी, मिन्नत गोरखपुरी, राजेश चन्द्र गर्ग, रामनरेश चौधरी, प्रवेन्द्र कुमार, इन्द्रजीत कुमार, अविनाश कुमार यादव, अमरनाथ श्रीवास्तव, डाॅ0 बुद्धि सागर गौतम, अजय कुमार, रामदवन पासवान, मुकेश कुमार, रविन्द्र सिंह, मानव चन्द, प्रदीप मौर्या, नीलम भारती, अजीत गुप्ता, विनयशील, बिपुल कुमार, अराध्या राय, रीता श्रीवास्तव, चेता सिंह, संदीप चैरसिया, ओजस्वी राय, हरेन्द्र सिंह, अनुपमा सिंह आदि सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।