नव नालन्दा महाविहार , नालंदा तथा गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, विलासपुर के बीच समझौता हुआ

इस अवसर पर गुरु घासीदास विश्वविद्यालय , विलासपुर के माननीय कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति फिनिक्स पक्षी की तरह उठ खड़ी होने वाली, पुनर्जीवित होने वाली रही है। इसी लिए ( प्राचीन ) श्री नालंदा महाविहार के नष्ट किए जाने पर भी आज उसका नया स्वरूप देखने को मिलता है।
आज का विद्यार्थी बेहद सतर्क व प्रतिभाशाली है। हमें आज समय के साथ खड़ा होना है। क्या भारत में संस्थाएँ विश्व स्तर की नहीं बनायी जा सकतीं ? हर विद्यार्थी आई. ए. एस. नहीं हो सकता । उसकी प्रतिभा के अनुसार उसका कार्य हो, यह आदर्श है। देश के संसाधनों को दुर्व्यय से अवश्य बचाया जाना चाहिए। मातृभाषा हमारी धरोहर है। उसमें अपने विचार रखने में गर्व होना चाहिए । समय के हिसाब से बदलाव लाना चाहिए। चीन अपनी औषधियों के बल पर प्रगति कर रहा है।
अमेरिका अपने संसाधनों का श्रेष्ठ उपयोग कर रहा है। हमें भी अपनी भारतीय दृष्टि के साथ आगे बढ़ना चाहिए। राष्ट्र के लिए सोचना चाहिए । दोनों विश्व विद्यालयों के इस समझौते से वर्तमान के साथ-साथ आगे की पीढ़ी के लिए लाभ होगा।
नव नालन्दा महाविहार के कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि ( प्राचीन ) नालंदा महाविहार का उत्तराधिकारी आज का नव नालन्दा महाविहार ( सम विश्वविद्यालय ) है। हमारी सोच सर्वदा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ पर आधारित रही है। दोनों विश्वविद्यालय ( गुरु घासीदास विवि एवं नव नालन्दा महाविहार ) एक दूसरे की ज्ञान सम्पदा व सांस्कृतिकता का लाभ उठाएँगे। एक दूसरे की दृष्टि से परिचित होंगे। वास्तव में , यह हमारा विस्तार है। दोनों विश्वविद्यालयों की प्रतिभाओं का हम समग्र उपयोग करेंगे। दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शोध , पुस्तकालय, सेमिनार, डेटा सूचना , विशेषज्ञता का विनिमय करेंगे।
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