जिलाधिकारी पिपरा खुर्द जाकर बुखार से दो मासूमों की मृत्यु पर परिवारजनों से मिले
कुशीनगर -नेबुआ नौरंगिया विकास खंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सभा पिपरा खुर्द के टोला गुलहरिया में बुखार से पीड़ित दो मासूम बच्चों की मृत्यु होने पर घटना की गंभीरता को देखते हुए आज जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर, मुख्य विकास अधिकारी विंदिता श्रीवास्तव तथा मुख्य चिकित्साधिकारी चंद्रप्रकाश ने गांव पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और हालात का जायजा लिया।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव में विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर 56 से अधिक बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिसमें से 14 बच्चों के ब्लड सैंपल जांच हेतु मेडिकल कॉलेज भेजे गए हैं। प्रशासन ने लोगों से घबराने की जरूरत न होने की अपील की है।
गुलहरिया टोला निवासी राजकुमार के 7 वर्षीय पुत्र सागर को बीते गुरुवार को बुखार आने पर परिजनों ने निजी अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन राहत न मिलने पर उसे शुक्रवार को रामकोला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। हालत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल व बाद में मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। इलाज के दौरान उसे एम्स भेजा गया, जहां मृत्यु हो गई।
वहीं रामानंद के 3 वर्षीय पुत्र अंश को शनिवार को बुखार आने पर रामकोला सीएचसी ले जाया गया, जहां से उसे जिला अस्पताल और फिर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। सोमवार सुबह इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई। अंश का 9 वर्षीय बड़ा भाई आर्यन भी बुखार से पीड़ित है, जिसका इलाज चल रहा है।
घटना की जानकारी मिलते ही आज जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी एवं जिला पंचायतराज अधिकारी को स्वच्छता समिति को सक्रिय करने, आशा बहुओं को स्वास्थ्य किट उपलब्ध कराने तथा गांव में विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को बताया कि यह बीमारी छूत की नहीं है बल्कि जानवरों से फैलने वाली बीमारी हो सकती है। उन्होंने अपील किया कि मवेशियों को आवासीय परिसर से दूर रखें, नियमित साफ-सफाई बनाए रखें और किसी को भी बुखार होने पर तत्काल स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराएं।
मेडिकल टीम का आंकलन-
सीएमओ ने बताया कि मृत बच्चों में से एक बच्ची खुशी के रक्त परीक्षण में लेप्टोस्पायरोसिस(Leptospirosis) बीमारी की पुष्टि हुई है। यह एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो मुख्य रूप से Leptospira नामक बैक्टीरिया से होता है। यह ज़ूनोटिक बीमारी है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलती है। यह संक्रमित जानवरों (खासकर चूहे) के मूत्र से दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में आने से फैलती है। इसके लक्षण तेज बुखार (अचानक 102-104°F), बहुत तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द (खासकर पिंडलियों और कमर में), आँखों का लाल होना (कंजक्टिवाइटिस), उल्टी, जी मिचलाना इत्यादि हैं जो आमतौर पर 5-14 दिन बाद दिखते हैं। गंभीर मामलों में किडनी फेल्योर, लिवर खराब होना भी पाया जाता है। इसमें जल्दी डायग्नोसिस बहुत जरूरी है। मेडिकल टीम द्वारा बताया गया कि इस तरह के केसेस में एंटीबायोटिक्स (डोक्सीसाइक्लिन या एज़िथ्रोमाइसिन) दी जाती हैं।
जिला प्रशासन द्वारा निरोधात्मक कार्यवाहियाँ-
• मेडिकल कैम्प के माध्यम से स्वास्थ्य परीक्षण (डेंगू, मलेरिया एवं टायफाइड की रैपिड जांच सहित)
• डोर टू डोर स्क्रीनिंग एवं मेडिकल किट का वितरण (आशा के माध्यम से)
• दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
• उक्त टीम के द्वारा घर घर सत्यापन करते हुए, बच्चों के ज्वर से पीड़ित होने पर तत्काल सम्बन्धित MOIC से समन्वय स्थापित करते हुए उन्हें स्वास्थ्य किट यथा दवा आदि की व्यवस्था कराते हुए, यदि आवश्यक हो तो ऐहतियातन हॉस्पिटल में भर्ती की कार्यवाही की जा रही हैं।
• चाइल्ड स्पेशलिस्ट की देखरेख में 24 घंटे तीन शिफ्टों में डॉक्टरों की ड्यूटी|
• एहतियातन एम्बुलेंस की तैनाती|
• जनपद के समस्त ग्रामों में सफाई कराई जा रही हैं, जनपद में पर्याप्त मात्रा में ब्लीचिंग पाउडर, एंटी लार्वा का छिड़काव किया जा रहा हैं तथा फॉगिंग कराई जा रही हैं।
• चुकी यह बीमारी चूहे, छछुंदर, पशुओं इत्यादि से मनुष्यों को संक्रमित करती है, अंत: पशुपालन एवं कृषि विभाग से समन्वय |
• संचारी रोग नियंत्रण के तहत दस्तक अभियान (31 अक्तूबर तक था) में लगाई गई टीम को पुनः क्रियाशील कर दिया गया हैं।
• जल निगम ग्रामीण विभाग की टीम द्वारा पेयजल की टेस्टिंग की जा रही।
• व्यापक प्रचार-प्रसार तथा साथ ही सोशल मीडिया या अन्य किसी माध्यम से फैलने वाली अफवाहों पर ध्यान एवं रोक लगाने की अपील की जा रही है। साथ ही जिलाधिकारी के स्तर से ज़ूम के माध्यम से समस्त प्रधानों को जागरूक किया जा रहा हैं
• ICCC के तरह CMO कार्यालय तथा विकास भवन में कंट्रोल रूम को क्रियाशील कर दिया गया हैं, जिसमें एक expert की 24*7 दिन ड्यूटी लगाई गई हैं|
• ग्रामों में निगरानी समितियों को क्रियाशील किया जा रहा है।
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