किसानों के लिए लाभदायक है सब्जी मटर की खेती
सब्जी मटर की खेती कम पानी में अधिक उपज के कारण प्रचलित है।इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन के अतिरिक्त विटामिन ए,बी,और सी, पोटैशियम ,आयरन, और फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य निदेशक प्रसार्ड ट्रस्ट मल्हनी देवरिया के अनुसार सब्जी मटर की खेती के लिए उपजाऊ और जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है।
मटर की बुआई पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 -40 सेमी. पौधे से पौधे की दूरी 10 -15 से.मी. पर ,3-4 सेमी. की गहराई पर बुआई करनी चाहिए।
सब्जी मटर की प्रमुख प्रजातियाँ काशी अगैती, काशी उदय, काशी नन्दिनी, काशी मुक्ति, काशी शक्ति, काशी समृद्धि, काशी पूर्वी, पूसा श्री, पूसा प्रगति, पूसा आर्किल,पूसा प्रबल है। इसकी बुआई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक समान्य तापमान पर करनी चाहिए।बीजों को बुआई से पहले जीवाणु कल्चर से उपचारित करना लाभ प्रद होता है।
सब्जी मटर का बीज 35-40 किग्रा प्रति एकड़ के लिए पर्याप्त होता है। प्रजाति के अनुसार नवम्बर से जनवरी के मध्य फली तैयार हो जाती है। मटर की पहली सिंचाई फूल आते समय तथा दूसरी सिंचाई फलियां बनते समय करनी चाहिए। अधिक पानी न दें क्योंकि इससे पौधे खराब हो सकते हैं।
अधिक उत्पादन हेतु प्रति एकड़ में गोबर की सड़ी खाद 50-80 कुन्टल प्रयोग करना चाहिए। मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। मटर की खेती में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है, जिन्हें उर्वरक के रूप में यूरिया 18 किग्रा ,सिगल सुपर फास्फेट 125 किग्रा, म्यूरेट आफ पोटाश 34 किग्रा ,जिप्सम 40 किग्रा प्रति एकड़ में अंतिम जुताई के समय खेत में अच्छी तरह मिला दें। तथा 18 किग्रा यूरिया बुआई के 35-40 दिनों बाद टाप ड्रेसिग के रुप में देनी चाहिए। प्रजातियों के अनुसार हरी फली 28-30 कुन्टल प्रति एकड़ में प्राप्त होती हैँ।
फसल.अवधि में लगभग 3-4 बार हरी फलियों की तुड़ाई की जाती है। फलियां सुबह या सायंकाल के समय तोड़ने से फलियों की चमक बनी रहती है। प्रति एकड़ में 28- 30 कुन्टल उपज हरी मटर अर्थात 2800- 3000 किग्रा ,मटर रू20/ प्रति किग्रा की दर से बिक्री होती है तो रू56- 60 हजार होगा। लागत रू10000/होगा तो शुध्द लाभ रू46- 50 हजार प्रति एकड़ होगा।
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