मशरूम की खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम: युवाओं के लिए नए अवसर
भाटपाररानी -कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), देवरिया में आज से आर्य प्रोजेक्ट के तहत मशरूम की खेती पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को मशरूम की खेती में प्रशिक्षित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
केवीके के प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. मंधाता सिंह ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा, “मशरूम की खेती एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है, खासकर युवाओं के लिए। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हम युवाओं को मशरूम की खेती की वैज्ञानिक विधि और कृषि अपशिष्ट का उपयोग करके मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण देंगे।”
कार्यक्रम के समन्वयक एवं गृह विज्ञान विशेषज्ञ, जय कुमार ने कहा, “इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 25 युवा प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को मशरूम की खेती में एक नए और लाभदायक करियर की दिशा में बढ़ने में मदद करेगा।” मशरूम की खेती न केवल एक लाभदायक व्यवसाय है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
मशरूम में प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न प्रकार के विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, मशरूम की खेती एक छोटे से स्थान पर भी की जा सकती है, जिससे यह उन लोगों के लिए भी एक अच्छा विकल्प है जिनके पास अधिक जमीन नहीं है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों को मशरूम की खेती की विभिन्न तकनीकों के बारे में जानकारी दी जाएगी| जैसे कि बीज उत्पादन, खाद तैयार करना, और फसल प्रबंधन। इसके अलावा, प्रतिभागियों को मशरूम की खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों और तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
कार्यक्रम के अंत में, प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।