साहित्य के क्षेत्र में कैरियर बनाएं विद्यार्थी – परिचय दास
राजगीर। डॉ. भीमराव अम्बेदकर आवासीय विद्यालय, राजगीर में विद्यार्थियों के समक्ष विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। यह अवसर साहित्य और लोक कला के क्षेत्र में कैरियर बनाने के इच्छुक छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी रहा। विद्यालय परिसर में स्वच्छता, अनुशासन और ऊर्जाशीलता का विशेष प्रभाव देखा गया।अतिथि वक्ता के रूप में प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. रवींद्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ एवं भोजपुरी चित्रकार व लोक कला विशेषज्ञ वन्दना श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
प्राचार्य डॉ. राजीव रंजन, उप प्राचार्य विजयानन्द सिंह (कवि-लेखक), अजय पाण्डेय, बनारसी साह सहित अन्य आचार्यगण ने भी व्याख्यान में भाग लिया।
परिचय दास ने साहित्य के क्षेत्र में कैरियर बनाने के विभिन्न मार्गदर्शनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आज के बदलते युग में साहित्य केवल लेखन तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि संपादन, आलोचना, अनुवाद, रेडियो-टीवी लेखन, डिजिटल साहित्य, शोध कार्य और शिक्षण जैसे विविध क्षेत्र भी उपलब्ध हैं।विद्यार्थियों को सुझाव दिया कि वे अपने रुचि व कौशल के अनुरूप साहित्यिक क्षेत्र में गहराई से अध्ययन करें और व्यावसायिक अवसरों का लाभ उठाएं। उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे केवल रचनात्मक लेखन तक सीमित न रहें बल्कि सामाजिक यथार्थ पर ध्यान देकर साहित्य को समाज सुधार का माध्यम बनाएं।
वन्दना श्रीवास्तव ने लोक कला को कैरियर के रूप में अपनाने के लाभ और उसके व्यावसायिक आयाम पर प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया कि लोक कला केवल प्रदर्शन कला नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का माध्यम है।
चित्रकारी, लोक नृत्य, लोक संगीत, हस्तशिल्प, लोककथाएं आदि में विभिन्न अवसर उपलब्ध हैं। वन्दना ने विद्यार्थियों को बताया कि लोक कला को संरक्षण के साथ ही नवाचार से जोड़ा जा सकता है, जिससे यह पारंपरिक ज्ञान आधुनिक बाजार में भी प्रासंगिक बन सके। साथ ही, उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोक कला की प्रस्तुति, प्रदर्शनियों में भागीदारी, और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर एक सफल करियर बनाने के टिप्स दिए।
विद्यालय में छात्रों ने उत्साहपूर्वक दोनों वक्ताओं के व्याख्यान से अत्यधिक लाभ प्राप्त किया। इस प्रेरणादायक आयोजन ने विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और नई दिशा की प्रेरणा का संचार किया।
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