योग और आधुनिक जीवन शैली
योग शब्द संस्कृत धातु के ” यु ज से बना है ,जिसका अर्थ होता है जोड़ना |इस जोड़ने को आध्यात्मिक रूप से कहा जाए तो व्यक्ति चेतना को समष्टि चेतना से मिलन कहा जाता है |अर्थात आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है |
गीता में कृष्ण ने भी कहा है” योग :कर्मसु कौशलम “अर्थात अपने कार्यों को कुशलता पूर्वक करना ही योग है |मानव सभ्यता के प्रारंभ में योग का उत्थान तब हुआ जब मानव अपनी आध्यात्मिक क्षमता का ज्ञान प्राप्त कर उसे विकसित करने की विधियों की खोज करने लगा | सम्पूर्ण विश्व में ऋषि मुनियों द्वारा योग विज्ञान का क्रमिक विकास किया गया | योग के तत्व को विविध प्रतीकों ,रूपकों और अलंकारिक भाषाओँ के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है |योग हमे एक बहुमूल्य विरासत के रूप में प्राप्त हुआ है |शारीरिक एवं मानसिक शुद्धता और प्रबलता योग की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है |सामन्जस्य एवं एकीकरण के सिद्धांतों पर आधारित होने के कारन ही यह इतनी सशक्त एवं प्रभावकारी विधा है |
वर्तमान परिवेश में योग स्वास्थ्य रक्षा एवं पारिवारिक मंगल का साधन है | भाग दौड़ भरी जिन्दगी व् तनाव पूर्ण जीवन शैली में योग शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है |
योग के आठ अंग है –
1- यम
2- नियम
3- आसन
4- प्राणायाम
5 – प्रत्याहार
6- धारणा
7 – ध्यान
8- समाधि
इन योग के अंगों का पालन करके हम जीवन को उन्न्त बना सकतें हैं तथा मानव जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं |
–मनीष योग प्रशिक्षक ,नई दिल्ली