पक्कीबाग शिशु मंदिर ने लहराया परचम
गोरखपुर-सफलता प्राप्त करने का मूल मंत्र यह है कि असफल होने के बाद भी सफलता के लिए सतत् प्रयत्नशील रहा जाए। प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य बनाये रखने, कठिन परिश्रम करने व आत्मविश्वास के साथ प्रयास करने से निश्चित रूप से सफलता प्राप्त किया जा सकता है।ये बातें सरस्वती शिशु मन्दिर (10+2) पक्कीबाग गोरखपुर में सत्र 2008 /2009 बैच के पूर्व छात्र व यूपीएसई परीक्षा-2024 में 334 रैक पर चयनित होकर स्वयं के साथ ही विद्यालय परिवार को गौरवान्वित करने वाले छात्र भैया पवन कुमार पाण्डेय ने अपने सम्मान समारोह के अवसर पर कहा।
उन्होंने कहा कि विद्या भारती द्वारा संचालित शिशु मन्दिरों में ज्ञान के साथ मिलने वाला संस्कार का जीवन के सफलता में विशेष महत्व है। सिविल सर्विस परीक्षा के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकें विशेष उपयोगी एवं महत्वपूर्ण हैं, यदि इसका विद्यार्थी जीवन में ही ठीक से अध्ययन किया जाए तो आगे चलकर यह बहुत हद तक सहायक होता है। सिविल सर्विस के लिए ज्ञान के साथ ही अन्य विशेषताओं जैसे सामाजिक जागरूकता, सामाजिक सम्वेदना की आवश्यकता होती है जो शिशु मन्दिरों में आसानी से सीखा जा सकता है। इस अवसर पर शिक्षा समिति गोरक्ष प्रदेश के प्रदेश निरीक्षक राम सिंह, बलिया संभाग निरीक्षक कन्हैया चौबे विद्यालय प्रबंध समिति के कोषाध्यक्ष महेश गर्ग, ने छात्र भैया पवन कुमार पाण्डेय को हार्दिक बधाई एवं भावी जीवन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिशु मन्दिर के विद्यालय पुस्तकीय ज्ञान के अतिरिक्त संस्कारयुक्त ज्ञान के लिए समाज में अपनी विशेष पहचान बनाये हुए है। भैया पवन कुमार पाण्डेय आज दीप से कुलदीपक व कुलदीपक से दिवाकर तक की यात्रा कर स्वयं, परिवार व विद्यालय को गौरवान्तिव कर रहे हैं। आज अन्य विद्यार्थियों को भी इनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रयास करना चाहिए।
इस अवसर पर विद्यालय परिवार की ओर से भैया पवन कुमार पाण्डेय व उनके पिता रघुवीर पाण्डेय को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, पुष्पगुच्छ व माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. राजेश सिंह अतिथियो का स्वागत करते हुए परिचय कराया। कार्यक्रम में आये अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापन प्रथम सहायक रुक्मिणी उपाध्याय ने किया।
कार्यक्रम में पूर्वछात्र संरक्षक हरिकिशुन गिरी सहित सभी आचार्य एवं छात्र भैया / बहन उपस्थित रहे। सरस्वती वन्दना से प्रारम्भ हुए कार्यक्रम का समापन शान्ति पाठ से हुआ।
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