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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 28 Mar 2025 6:04 PM |   339 views

आम और लीची के फलों को झड़ने से बचाए

 

बसंत के आगमन के साथ ही आम एवं लीची के वृक्षों में मंजरी (बौर)आना शुरू हो जाती हैं। जिसे  देखकर किसान भाई  प्रफुल्लित होते हैं। परंतु यदि मंजरी का ठीक से देखभाल नहीं करते तो  फूल और फल झड़ जाते हैं जिससे  फसल प्रभावित होती है । आम एवं लीची  में फल झड़ने की गंभीर समस्या है कभी-कभी तो बौर आने के बाद भी पेड़ पर बहुत कम या ना के बराबर फल दिखते हैं ।

आम एवं लीची के फूल और फलों को झड़ने  से  बचाव  के बारे में जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र देवरिया के उद्यान विशेषज्ञ डॉ रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि बौर के निकलने के साथ ही रस चूसने वाले कीड़े जैसे भुनगा (हॉपर), गुझिया ( मिली बग) और पुष्प गुच्छ मिज  का प्रकोप होता है। भुनगा एवं गुजिया किट के शिशु और प्रौढ़ द्वारा वृक्षों के प्रारोहो,कोमल पत्तियों, फूलों एवं अविकसित फलों के रस चूसने से ग्रसित भाग सूख कर गिर जाते हैं।

पुष्प गुच्छ मिज कीट के प्रकोप से बौर पर काले धब्बे दिखाई देते हैं तथा बौर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। यह कीट रस  चूसने के साथ ही मीठा द्रव उत्सर्जित करते हैं इसे पत्तियां चिकनी और लसलसी होने से काली फफूंदी लग जाती है जिसले प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है। इन कीड़ों  के लिए इमिडाक्पोप्रिड नामक कीटनाशक की 0.3 से 0.4 मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर 15 से 20 दिन बाद थिओमेथाग्जाम की 0.3 से 0.4 मिलीग्राम दवा प्रति लीटर  पानी में मिलाकर छिड़काव डरना चाहिए।  इसी प्रकार बौर पर खर्रा या दहिया एन्थ्रोकनोज और काली फफूदी रोग लगने से फल फूल गिरने लगते हैं।

खर्रा रोग लगने से ग्रसित पुष्प अविकसित फल एवं कोमल पत्तियों पर सफेद चूर्ण  दिखाई पड़ते हैं। इसी प्रकार एन्थ्रोकनोज और काली फफूदी रोग से प्रभावित होने पर ग्रसित भाग सुख कर गिर जाते हैं । रोगों से बचाने के लिए घुलनशील सल्फर की दो से ढाई ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर  छिड़काव करें ।आवश्यकता पड़ने पर दूसरा छिड़काव डाइनोकैप (कैराथेन) या वेलेटोंन नामक दवा की एक ग्राम या कार्बेन्डाजिम की दो ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। बौर को कीटो एवं रोगों के बचाने के लिए बताए गए  कीटनाशक एवं फफूंद नाशक  रसायनों की संस्तुति की गई मात्रा मिलाकर छिडकाव करने से समय व धन की बचत की जा सकती है।  छिड़काव के लिए घोल बनाते समय कोई चिपकने वाला पदार्थ जरूर मिलना चाहिए।

ध्यान रहे रसायनों का छिड़काव बौर निकलते समय  या  बौर में दाने बनने के बाद ही करे जब फूल खिले हो तो कोई छिड़काव नहीं करना चाहिए। फलों के गिरने से बचने के लिए मटर के दाने आकर के फल हो जाने पर नैप्थलीन एसिटिक एसिड की 20 पीपीएम या प्लानोफिक्स नाम की दवा की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति 4 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव  से फल के झड़ने में कमी आ जाती है। फल  वृद्धि  की अवस्था में पोटेशियम नाइट्रेट (एनपीके13:0: 45)  घुलनशील चूर्ण की  10% तथा सूक्ष्म तत्वों  का मिश्रण (बोरान+कॉपर+जिंक+आयरन ) का ५% घोल का छिड़काव करने से फल में अच्छी वृद्धि पाई गई है।

फल बढ़ते समय  से परिपक्वता आने की स्थिति में वाग में नमी  बनाए रखना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र देवरिया से संपर्क कर सकते हैं।

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