गोण्डा के ऐतिहासिक राजा देवी बख्श सिंह जलाशय पर प्रकृति और नवाचार का अनूठा संगम


फूलों की मनमोहक खुशबू के साथ यहाँ कुछ ऐसा भी था, जिसने हर किसी को चौंका दिया—पुराने कबाड़ से बनी खूबसूरत आकृतियाँ! नगर पालिका परिषद द्वारा तैयार की गई ‘वेस्ट टू वंडर’ गैलरी में स्क्रैप धातु, कांच और प्लास्टिक से बनी शानदार मूर्तियाँ नजर आईं। वन विभाग ने ‘मेरी गोंडा, मेरी शान’ थीम पर हरियाली को बढ़ावा देने वाली कलाकृतियाँ प्रस्तुत कीं।
आबकारी विभाग ने शराब की बोतलों और पुराने डिब्बों से कलात्मक सजावट की थी, जबकि स्वास्थ्य एवं उद्यान विभाग ने पुराने गमलों और टूटी हुई चीजों को नये रूप में पेश किया। लोगों में खास आकर्षण का केंद्र रहा एक विशाल ‘ग्रीन वॉल’, जो पूरी तरह से रिसाइक्लिंग सामग्री से बनी थी।
फूलों की स्वर्गीय दुनिया-
डहेलिया, इम्पेशन, जर्मेनियम, पिटुनिया, अफ्रीकन डेजी, जरबेरा, बिगोनिया, ड्वार्फ कार्नेशन, गजानिआ, फ्लॉक्स, मार्गेट डेजी और डॉग फ्लावर जैसे दुर्लभ और खूबसूरत फूलों की रंगीन दुनिया यहाँ सजी थी। प्रकृति प्रेमियों ने अपने पसंदीदा फूलों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं और बागवानी के टिप्स भी हासिल किए।
प्रतियोगिता के विजेता और सम्मान समारोह-
इस भव्य आयोजन में विभिन्न विभागों और संस्थानों ने अपनी कला और हरियाली के प्रति समर्पण को प्रदर्शित किया। शानदार प्रस्तुतियों को देखते हुए विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार भी दिए गए:
सरकारी विभाग श्रेणी:
प्रथम स्थान: नगर पालिका गोण्डा
द्वितीय स्थान: वन विभाग गोण्ड
तृतीय स्थान: कृषि विभाग गोण्डा
अतिविशिष्ट सम्मान: उद्यान विभाग गोण्डा
सामाजिक संस्थान श्रेणी:
प्रथम स्थान: कृषि विज्ञान केंद्र
द्वितीय स्थान: शुक्ला बायोटेक
तृतीय स्थान: पानी संस्थान
सान्त्वना सम्मान: अमित कुमार सिंह, हृदय राम यादव
शैक्षिक संस्थान श्रेणी:
प्रथम स्थान: श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज गोण्डा
द्वितीय स्थान: जगदम्बा शरण सिंह एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बेलसर
तृतीय स्थान: सरस्वती देवी नारी ज्ञानस्थली महिला डिग्री कॉलेज गोण्डा
सान्त्वना पुरस्कार: श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज, राजकीय पॉलिटेक्निक, एससीपीएम फार्मेसी कॉलेज, एससीपीएम बायोमेट्रिक गोण्डा
विजेताओं को आगामी समारोह में विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा।
एक नई सोच की ओर कदम-
फूलों की खुशबू, कबाड़ से बनी अद्भुत रचनाएँ और हरियाली के प्रति जागरूकता—गोण्डा का यह फ्लावर शो केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक नई सोच की शुरुआत थी। स्थानीय लोग, किसान, छात्र, सरकारी विभाग और सामाजिक संस्थाएँ मिलकर इसे यादगार बनाने में सफल रहे।

वहीं कार्यक्रम में उद्यान विभाग द्वारा राम की कुटिया एवं अन्य कई प्रकार के फूलों की रंगोली तथा अन्य कलाकृतियां बनाई गई थी।
आने वाले वर्षों में यह आयोजन और भी बड़ा और प्रभावशाली होने की उम्मीद है। गोण्डा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यहाँ की धरती सिर्फ उपजाऊ ही नहीं, बल्कि रचनात्मकता और नवाचार की मिसाल भी है!
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