भारत भूमि वीरों की भूमि रही है – अमर सिंह

उसी में से सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के पुत्र थे | जिनके याद में आज हम लोग वीर बालक दिवस मना रहे हैं, जो हमारे देश के वीर सपूतों की बहादुरी और बलिदान को याद करने का एक अवसर है। आज मैं आप सभी को गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों पुत्रों की वीरता और बलिदान के बारे में बताना चाहता हूं।
साहिबजादा अजीत सिंह , साहिबजादा जुझार सिंह , साहिबजादा जोरावर सिंह , और साहिबजादा फतेह सिंह ने अपने पिता गुरु गोबिंद सिंह के सिख धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए।
ये चारों पुत्र बहुत ही वीर और साहसी थे, और उन्होंने अपने धर्म और देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की।साहिबजादा अजीत सिंह जी ने तो केवल 18 वर्ष की आयु में ही चमकौर की लड़ाई में वीरगति प्राप्त की। साहिबजादा जुझार सिंह जी ने भी इसी लड़ाई में अपने प्राण न्योछावर किए।
साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह को तो केवल 6 और 9 वर्ष की आयु में ही सरहिंद के नवाब वजीर खान ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था।इन चारों वीर बालकों की वीरता और बलिदान से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें अपने धर्म और देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। हमें उनकी वीरता और बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन में भी ऐसी ही वीरता और साहस दिखाना चाहिए।
अंत में, मैं गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों पुत्रों को याद करता हूं और उनके बलिदान को सलाम करता हूं। हमें उनकी वीरता और बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन में भी ऐसी ही वीरता और साहस दिखाना चाहिए।
प्रधानाचार्य डॉ राजेश सिंह ने वीर पुत्रों को याद करते हुए कहा कि हमें इनके जीवन से प्रेरणा लेने चाहिए और बच्चों को ज्यादा से ज्यादा ऐसी कहानियां को बताना चाहिए |
इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा |
Facebook Comments