नीम एक गुण अनेक
नीम एक ऐसा बृक्ष है जो मानव, पशु पक्षी, फसलों आदि सबके स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। कहा जाता है कि नीम के पेड़ पर देवी देवताओं का वास होता है। ऐसा इसलिए कहा गया होगा कि यह हर प्रकार से लाभकारी पौधा है। इसकी पत्तियां फल .फूल छाल, तना का विभिन्न उपयोग है।
सुबह-सुबह रोजाना नीम की पत्तियां खाने से चबाने पर यूरेथा यानी मूत्रमार्ग और आंखों के इंफेक्शन में काफी लाभ मिलता है। इतना ही नहीं नीम पित्त और कफ को कम करने का भी काम करता है।
नीम की ब्लड प्यूरीफायर, एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेंट खूबियां इसे एक्जिमा, सोरायसिस जैसे अनेक त्वचा विकारों में फायदेमंद बनाती है। नीम से साबुन, तेल, पेस्टीसाइड एवं अन्य दवाएं बनायी जा रही है।
प्रसार्ड ट्रस्ट मल्हनी देवरिया के निदेशक प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि नीम के कई गुण होते हैं और इसका इस्तेमाल सदियों से औषधि के रूप में किया जाता रहा है।नीम में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फ़ंगल, एंटीवायरल, और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।नीम के पत्तों को पीसकर पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। नीम की पत्तियों के रस का सेवन करने से लिवर मज़बूत रहता है। नीम की पत्तियों को उबालकर ठंडा पानी बना कर नहाने से त्वचा संक्रमण से सुरक्षित रहती है।
नीम के बीज, फल, और फूल में ट्यूमर रोधी गुण पाए जाते हैं।
नीम की सूखी पत्तियां जलाकर धुआं करने से मच्छर दूर रहते हैं।
नीम के दातून से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।नीम की पत्तियों के सेवन से ब्लड शुगर को सामान्य किया जा सकता है। नीम की तासीर ठंडी होती है और यह एसिडिटी सीने में जलन और पाचन को सुधारने में काफी प्रभावी औषधि मानी जाती है |
नीम में एटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जिससे घाव ठीक होते हैं। इसका उपयोग बैध की देखरेख मे करे तो ज्यादा उचित होगा। नीम से कीट प्रबंधन -अनुसंधान से यह सिध्द हुआ है नीम से बने हुए उत्पाद बहुत से कीटों, सूत्रकृमियों के विरुद्ध उनके नियंत्रण करने में सहायक होते है।
ग्रास हौपर, लीफ हौपर ,माहूं, जैसिड, मौथ एवं इल्ली के लिए नीम का अर्क व तेल बहुत प्रभावी है। यदि नीम का उपयोग सही समय एवं सही मात्रा में किया जाय तो कीटों से होने वाले क्षति को कम किया जा सकता है। 1 किग्रा महीन निबोली का चूर्ण महीन कपड़े की थैली में बाँध कर 10 लीटर पानी में रात भर भिगों दे। अगली सुबह उस थैली को अच्छी तरह से निचोड़ लें तथा 10 लीटर पानी और मिला लें ।उस 20 लीटर घोल में 150-200 ग्राम साबुन या डिटर्जेंट पाउडर मिला कर खेत में सायंकाल छिड़काव करें। यह कुस्वाद युक्त प्रत्याकर्षण होता है तथा सूड़ियों के शरीर को बिगाड़ देता है।
नीम के तेल 5 मिली को 1 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव किया जा सकता है।नीम के पत्तों को मिट्टी और गाय के गोबर के साथ मिलाकर अनाज के भंडारण के लिए डिब्बे बनाए जा सकते हैं।
नीम के बीज का अर्क, व्यावसायिक सिंथेटिक कीटनाशकों की तरह ही काम करता है। नीम से कीट प्रबंधन के बारे में कुछ और खास बातें-
नीम में एज़ाडिरेक्टिन नाम का एक केमिकल होता है जो कई कीड़ों को मारता है या उनके विकास की दर को कम करता है। नीम के पत्ते, तेल या अर्क कई कीटों जैसे घुन, आटे के भृंग, बीन-सीड भृंग और आलू के पतंगों के ख़िलाफ़ विकर्षक के रूप में काम करते हैं। नीम की जैवनाशक क्षमता का श्रेय इसके एज़ाडिरेक्टिन सक्रिय घटक को दिया जाता है।
किसान.भाई अपने खेत/खलिहान/ घरों के आस पास 5-10 नीम का पेड़ अवश्य लगाये ,इससे खेत के लिए जैविक खाद ,पेस्टीसाइड, आदि ,भी उपलब्ध हो जायेगा तथा प्रर्यावरण की दृष्टि से भी लाभदायक होगा।
Facebook Comments