Sunday 16th of November 2025 04:48:58 AM

Breaking News
  • लालू परिवार में टूट ,रोहिणी ने राजनीति से लिया सन्यास ,परिवार से भी नाता तोडा |
  • बिहार दुनिया को राजनीति सिखाता है ,प्रधानमंत्री मोदी बोले -कांग्रेस को अब कोई नहीं बचा सकता |
  • इण्डोनेशिया के जावा में भूस्खलन का कहर ,6 की मौत ,17 अब भी लापता |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 23 Dec 2023 5:10 PM |   507 views

मालवीय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की जयंती मनाई गई

गोरखपुर – सरस्वती शिशु मंदिर (10+2) पक्कीबाग गोरखपुर में पंडित मदन मोहन मालवीय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की जयंती मनाई गई।
 
जिसमें विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य  योगेंद्र नाथ पाण्डेय ने अटल बिहारी वाजपेई जी के विषय में बोलते हुए कहा कि उनका जन्म ग्वालियर में हुआ था ।उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी और माता का नाम कृष्णा देवी था, वाजपेई जी डी ए वी कॉलेज कानपुर से राजनीति शास्त्र से एम ए की परीक्षा उत्तीर्ण की। वे राष्ट्र धर्म के प्रथम संपादक नियुक्त किए गए। भारतीय जनता पार्टी के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष मुंबई में बनाए गए। 11वीं लोकसभा में लखनऊ से सांसद  के रूप में विजय हुए 16 मई 1996 को प्रधानमंत्री बने । अपने जीवन काल में तीन बार प्रधानमंत्री बने ,उनका उदघोष है हम जिएंगे तो देश के लिए मरेंगे तो देश के लिए। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा दिया ।
 
यह पावन धरती कण, कण शंकर है, बिंदु, बिंदु गंगा जल है। भारत के लिए हंसते-हंसते प्राण न्योछावर करने में मैं गर्व का अनुभव करूंगा । समस्याएं आती हैं आए, घिरे प्रलय की घोर घटाएं ,पांव के नीचे अंगारे सर पर बरसे यदि ज्वाला  निज हाथों में हंसते-हंसते आग लगाकर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा।  उनकी कविता थी ।वे एक प्रखर वक्ता भी थे। उनके कार्यकाल में देश का स्वर्णिम विकास हुआ।
 
विद्यालय के आचार्य सदानंद पाण्डेय जी ने पंडित मदन मोहन मालवीय पर बोलते हुए  कहा कि मालवीय जी का जन्म प्रयाग में हुआ था। इनका बोध वाक्य था सत्यमेव जयते ,भारत के पहले और अंतिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की उपाधि से विभूषित किया गया । भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है ।पिता पंडित बृजनाथ मालवीय व माता मुन्नी देवी थी। सात भाइयों में पांचवें पुत्र थे ।मध्य भारत से मालवा प्रांत से प्रयाग में बसे उनके पूर्वज मालवी कहलाते थे ।इनके पिताजी कथा सुना कर  जीवकोपार्जन करते थे ।मालवीय जी 5 वर्ष की आयु में संस्कृत भाषा की शिक्षा लेने के लिए संस्कृत पाठशाला में भर्ती हुए।
 
बाद में प्रयागराज व कोलकाता से अपनी शिक्षा पूरी की करुणामय  हृदय ,मनसा, वाचा , कर्मणा ।देश के लिए समर्पित भारतीय संस्कृति के प्रतीक , सिर जाए तो जाए प्रभु मेरा धर्म न जाए। वे नियमित 60 वर्ष तक व्यायाम करते रहे ।भारतीय स्वाधीनता संग्राम में गांधी जी के जेल में जाने के बाद 61 वर्ष की आयु होने पर भी अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व कर उनके दांत खट्टे  कर दिए ।बनारस में बसंत पंचमी के दिन 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की।
 
आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और समाज में समाज के लोगों से मिलकर के सहयोग राशि लेकर के  काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो आज भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में अपना स्थान रखता है।
 
विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉक्टर राजेश सिंह ने छात्र-छात्राओं को आशीर्वाद देते हुए कहा कि हमें पंडित मदन मोहन मालवीय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जीवन से सीखने की आवश्यकता है।
 
इस अवसर पर गणित दिवस पर कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कार दिया गया।
 
इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
Facebook Comments