गणित के जादूगर थे श्रीनिवास रामानुजन – हरिकिशुन गिरी


भारत में रामानुजन का भव्य स्वागत किया गया। अस्वस्थ होने के कारण शारीरिक रूप से रामानुजन अत्यंत दुर्बल हो चुके थे। उनकी बीमारी का इलाज प्रारंभ किया गया था। परंतु स्वस्थ नहीं हो सके मात्र 33 वर्ष की अवस्था में उनका स्वर्गवास हो गया। रामानुजन की गणित में विशेष रूचि थी। हाई स्कूल तक अपनी कक्षा में वे हमेशा प्रथम आए हाई स्कूल की परीक्षा सन 1904 में पास की और उसमें अच्छा स्थान प्राप्त करने पर उन्हें छात्रवृत्ति मिली। तमिलनाडु में इनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। लेकिन विलक्षण प्रतिभा के धनी होने के कारण यह भारत ही नहीं संपूर्ण संसार में छा गए।
इस अवसर पर विद्यालय के आचार्य शिवकुमार त्रिपाठी जी एवं छात्रा बहन अंशिका राय ने भी अपने विचार रखे। अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ राजेश सिंह के द्वारा श्रीनिवास रामानुजन जी के जीवन पर प्रकाश डाला गया एवं गीता जयंती के अवसर पर बोलते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत गीता कर्म का सिद्धांत है। हमें कर्म करना चाहिए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।
इस अवसर पर विद्यालय के छात्र छात्राओं के द्वारा गणित से संबंधित मॉडल व प्रोजेक्ट को भी प्रदर्शित किया गया।
Facebook Comments