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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 11 Dec 2023 5:53 PM |   279 views

राष्ट्रपति और संसद के पास आर्टिकल 370 पर फैसला लेने का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट

आर्टिकल 370 को खत्म करने वाले भारत सरकार के फैसले की संवैधानिकता पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया| कोर्ट ने अपने फैसले में अनुच्छेद 370 को हटाने वाले भारत सरकार के कदम को बरकरार रखा है| कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रपति और संसद के पास 370 पर फैसला लेने का अधिकार है| इस तरह 5 अगस्त 2019 का भारत सरकार का फैसला बना रहेगा| इस फैसले को केंद्र सरकार की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है|

आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि भारत में विलय के बाद जम्मू कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं रहा| कोर्ट ने माना है कि इसकी आंतरिक संप्रभुता नहीं है| साथ ही जहां तक अनुच्छेद 370 का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट ने इसे संघवाद की विशेषता बताया है न कि संप्रभुता का| कोर्ट ने माना है कि जम्मू-कश्मीर में युद्ध की स्थिति के कारण संविधान का अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी|

आर्टिकल 370 परमानेंट है या टेंपररी, इस सवाल के आस पास सुप्रीम कोर्ट में बहुत सी दलीलें रखी गईं थी| याचिकाकर्ताओं का मानना था कि यह एक स्थाई प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान है, इसे परमानेंट प्रावधान नहीं समझा जान चाहिए|

CJI डीवाई चंद्रचबड़ ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार कर दिया| सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि इसे याचिकाकर्ताओं ने विस्तार से चुनौती नहीं दी थी|

जम्मू कश्मीर 2019 के फैसले के बाद राज्य न रह कर एक केंद्र शासित प्रदेश हो गया जिसकी अपनी विधानसभा होगी| हालांकि अभी तक सरकार ने राज्य में चुनाव को लेकर कोई महत्वपूर्ण घोषणा नहीं की है| अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जम्मू कश्मीर में 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने की बात कही है. साथ ही कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने की बात कही है|

सवाल यह भी था कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा या ये भी दोबारा से जम्मू कश्मीर का हिस्सा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लद्दाख यूनियन टेरिटरी के तौर पर ही जाना जाएगा|

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