कजरी महोत्सव-2023, गोरखपुर का शुभारम्भ किया गया



डाॅ0 धर्मेन्द्र सिंह,सदस्य विधान परिषद ने अपने उद्बोधन में कहा कि गोरखपुर की माटी में बहुत से कलाकार है, जिनकी प्रतिभा को उजागर करने की पहल निरन्तर उ0प्र0 सरकार द्वारा किया जा रहा है। सभी कलाकार की कजरी की प्रस्तुतियां बहुत ही सुन्दर एवं आकर्षण का केन्द्र रही। संस्कृति विभाग उ0प्र0 अपनी लोक परम्परा एवं गौरवशाली कला एवं संस्कृति को जीवंत करने तथा उसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरन्तर इस प्रकार के आयोजन कराने की पहल अत्यन्त सराहनीय है।
कार्यक्रम की शुरूआत रामदरश शर्मा द्वारा पारम्परिक लोकगीत कजरी के साथ किया गया। जिसमें सावनी झूमर- झिमिर झिमिर मेह बरसे…., रूनझुन बाजेले पायलिया… तथा काहे करेलू गुमान गोरी सावन में…..की प्रस्तुति के साथ की गयी।
इसी क्रम में पवन आनन्द (पंक्षी) गोरखपुर द्वारा झुल्हुआ डाल पिया बगिया में…, सावन में शिशके शरिरवा, बुझे ना पिया पिरवा…, सुरूकब ना मेंहन्दी के पाता… एवं आश्रया द्विवेदी, प्रयागराज द्वारा चलिके विन्ध्याचल नगरिया…, जइबे नइहरे सजन मान एतना बचन…, अरे रामा आवत होइहें सजनव…,रिमझिम बरसे बदरा चारो ओर अंधेरिया…
शिप्रा दयाल, गोरखपुर द्वारा बनारसी कजरी नन्ही नन्ही बूदिया…, झूला धीरे से झुलाव…, हरे रामा जेवइया मोरे भइया सवनवा में…, तथा
अन्तिम प्रस्तुति प्रमिला दूबे, गोरखपुर द्वारा रून झुन खोल हो केवड़िया हम विदेशवाॅं जइबों ना…, पिया सावन में झूला लगाई द हमके झुुलाइ द ना…, हरे रामा धानी चुनरिया रंगइबे पिया के तरसइबों…, बनवा मेें बोले ले कारी रे कोयलिया… की प्रस्तुति की।
उक्त कलाकारों ने खुब वाह-वाही बटोरी। दर्शकों ने कजरी महोत्सव का भरपूर आनन्द उठाया।
कार्यक्रम का सफल संचालन नूतन मिश्रा ने किया। कार्यक्रम के अन्त में मुख्य अतिथिगण द्वारा सभी कलाकारों को प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।
मुख्य अतिथिद्वय को राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर के उपनिदेशक/प्रभारी, क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र गोरखपुर डाॅ0 यशवंत सिंह राठौर ने स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर ने अतिथियों एवं कलाकारों का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए कहा कि संस्कृति विभाग विभिन्न आयोजनों पर स्थानीय कलाकारों को अवसर देकर उनकी कला-प्रतिभा को निखारने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने हेतु संकल्पित है।

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