सहजन के पेड़ से निरोगी रहेंगे आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चे

जिला कार्यक्रम अधिकारी कृष्णकांत राय ने बताया कि जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह द्वारा दिये गए निर्देशों के क्रम में पोषण माह के अंतर्गत जनपद के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में एक-एक सहजन का पेड़ लगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सहजन के पेड़ के कई तरह के फायदे हैं। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है।
सहजन की पत्ती का जूस देने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं और उल्टी दस्त में न केवल आराम मिलता है बल्कि डायरिया के विरुद्ध बच्चों में प्रतिरोधक तंत्र भी विकसित हो जाता है। सहजन के नए व कोमल पत्ते का रस का उपयोग करने से बच्चों के कान में होने वाले दर्द को भी रोका जा सकता है। सहजन की पत्ती का सेवन करने से एनीमिया को खत्म किया जा सकता है। इसमें जिंक, आयरन, आयोडीन, कैल्शियम एवं फॉस्फोरस सहित कई सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि गर्भवती, धात्री माताओं एवं 0-06 वर्ष के बच्चों के लिए अमृत वृक्ष के समान है। गर्भावस्था के दौरान इसके फूलों का चाय पीने से गर्भवती महिला में होने वाली यूटीआई की समस्या समाप्त हो जाती है। सहजन के फल की सब्जी खाने से प्रसव के दौरान होने वाला दर्द बेहद कम हो जाता है। इसके नियमित सेवन से सिजेरियन प्रसव को कम किया जा सकता है।
इसी प्रकार 100 ग्राम सहजन की पट्टी का साग सप्ताह में दो बार खाने से गर्भवती महिला एवं गर्भवती शिशु की हड्डियां मजबूत होती हैं।सीडीपीओ केके सिंह ने बताया कि सभी 17 परियोजनाओं के अंतर्गत आने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों में सहजन के पेड़ लगाए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सहजन के औषधीय गुणों एवं प्रयोग विधि के संबन्ध में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
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