Saturday 8th of November 2025 01:02:35 AM

Breaking News
  • बीजेपी ने बड़ी संख्या में वोटरों को बिहार भेजा ,वोट चोरी पर Aap के 3 बड़े खुलासे |
  • प्रियंका गाँधी की CEC ज्ञानेश कुमार को सीधी चेतावनी-शांति से सेवानिवृत्त नहीं होंगे आप |
  • भारतीय हॉकी के 100साल पूरे :मंडाविया बोले -देश को ओलम्पिक में मिली पहचान|
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 17 Aug 2023 6:30 PM |   422 views

तोरिया की बुआई का सही समय मध्य सितम्बर – प्रो. रविप्रकाश

इस समय बर्षा समान्य से बहुत कम हुई है। जिसके कारण या अन्य  किसी कारण से किसान खरीफ में कोई फसल नही ले पाये है, वे खाली पडे़  खेत मे तोरिया /लाही की फसल ले सकते है इसकी खेती करके अतिरिक्त लाभ अर्जित किया जा सकता है। तोरिया खरीफ एवं रबी के मध्य में बोयी जाने वाली तिलहनी फसल  है। 
 
खेत की तैयारी-इसके लिए  बर्षात  कम होने  के साथ समय मिलते ही खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताइयाँ देशी हल, कल्टीवेटर/हैरो से करके पाटा देकर मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए ।
 
प्रमुख प्रजातियां-तोरिया की प्रमुख प्रजातियाँ  टी.9,भवानी, पी.टी.-303,पी.टी.-30, एवं तपेश्वरी है। जो 75से 90दिन मे पक कर तैयार हो जाती है।जिनकी उपज क्षमता 4 से 5 कुन्टल प्रति एकड़  है। 
 
बीज की मात्रा एवं बीजोपचार- तोरिया का बीज 1.5 किग्रा० प्रति एकड़  की दर से प्रयोग करना चाहिए।बीज जनित रोगों से सुरक्षा के लिए उपचारित एवं प्रमाणित बीज ही बोना चाहिए। इसके लिए 2.5 ग्राम थीरम प्रति किग्रा० बीज की दर से बीज को उपचारित करके ही बोयें। 
 
बुआई का समय- गेहूँ की अच्छी फसल लेने के लिए तोरिया की बुआई सितम्बर के पहले पखवारे में समय मिलते ही की जानी चाहिए। भवानी प्रजाति की बुआई सितम्बर के दूसरे पखवारे में ही करें।
 
खाद एवं उर्वरक-  मृदा परीक्षण के आधार पर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए, यदि मिट्टी परीक्षण न हो सके तो 16 कुन्टल गोबर की सड़ी खाद का प्रयोग प्रति एकड़ में  करें। 44किग्रा. युरिया ,125किग्रा सिंगल सुपरफास्फेट एवं 30 किग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश प्रति एकड़  की दर से  अंतिम जुताई के समय  खेत मे मिला दे।  बुआई के 25 से 30 दिन के बीच पहली सिचाई के बाद टाप ड्रेसिंग के रूप में 44किग्रा. यूरिया प्रति एकड़  में देना चाहिए।
 
बुआई की विधि- बुआई 30 सेमी० की दूरी पर 3 से 4 सेमी० की गहराई पर कतारों में करनी  चाहिए एवं पाटा लगाकर बीज को ढक देना चाहिए। घने पौधों को बुआई के 15 दिन के अन्दर निकालकर पौधों की आपसी दूरी 10-15 सेमी० कर देना चाहिए तथा खरपतवार नष्ट करने के लिए एक निराई-गुड़ाई भी साथ में कर देनी चाहिए।
 
सिंचाई-फूल निकलने से पूर्व की अवस्था पर जल की कमी के प्रति तोरिया (लाही) विशेष संवेदनशील है अतः अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए इस अवस्था पर सिंचाई करना आवश्यक है।बर्षा होने से हानि से बचने के लिये  उचित जल निकास की व्यवस्था करें। 
 
कीट एवं रोग प्रबंधन- नाशीजीवों का सही पहचान कर  उचित प्रबंधन करना चाहिए।
 
कटाई-मड़ाई-  जब फलियां 75 प्रतिशत सुनहरे रंग की हो जाय तो फसल को काट कर सुखा लेना चाहिए तत्पश्चात मड़ाई कर बीजो को सुखाकर भण्डारित करें।
Facebook Comments