‘आज़ादी के तराने’ कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया

आजादी की 76वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, भारतीय भाषाओं के विकास व उनके संवर्धन के लिए समर्पित संस्था ‘हिंदुस्तानी भाषा अकादमी’ के सभागार में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस अवसर पर अपने विशेष उद्बोधन में सुशील भारती ने कहा कि कविता लिखना एक गंभीर विषय है। हमें विषय पर गंभीर चिंतन करने के उपरांत ही, कविता अथवा साहित्य की अन्य विधा में लिखना चाहिए।
सुधाकर पाठक ने उपस्थित कवियों साहित्यकारों एवं पत्रकारों को अकादमी के क्रियाकलापों और भावी योजनाओं से अवगत करवाया। इस अवसर पर अकादमी द्वारा प्रकाशित भारतीय भाषाओं पर केंद्रित त्रैमासिक पत्रिका ‘हिंदुस्तानी भाषा भारती’ के ताजा अंक (अप्रैल-जून 2023) का लोकार्पण भी किया गया।
इस अवसर पर मंचासीन गणमान्य कवियों के अलावा विनोद पाराशर, साहित्य कुमार चंचल, अजय मनचंदा, अशोक कुमार, बबली वशिष्ठ, दर्शिनी प्रिया, इरफान राही, कविता सिंह, परणिता सिन्हा, प्रगति मिश्रा, सतीश दीक्षित, राकेश भ्रमर, राजकुमार श्रेष्ठ, एसएस डोगरा, डा आकाश मिड्ढा, मुकेश श्रीवास्तव सहित लगभग 3 दर्जन कवियों की एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनने को मिली।
आज़ादी के तरानों ने न केवल श्रोताओं में अत्यंत जोश भरा बल्कि कई जगह उनकी आंखें नम भी की।
कार्यक्रम का संचालन कवि, कलाकर्मी किशोर श्रीवास्तव ने सदा की तरह अपने रोचक अंदाज में किया।
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