महाराणा प्रताप जयंती मनाई गई
कुशीनगर -आज बुद्धा पी . जी .कालेज कुशीनगर में महाराणा प्रताप जयंती मनाई गई | कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन से किया गया | अंधा चकाचौंध का मारा,
क्या जाने इतिहास बेचारा
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चंद्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
कविवर रामधारी सिंह दिनकर की उपरोक्त पंक्तियां महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए बीएड विभागाध्यक्ष प्रो विभ्राट चंद्र कौशिक ने कही।
कौशिक ने कहा कि यह भारतीय इतिहास की विकृति है कि हम अपने नायकों को इतिहास में वह स्थान और आदर नहीं दे पाए जिनके कि वे वास्तविक हकदार हैं।महाराणा प्रताप ऐसे अनगिनत नायकों में से एक हैं। महाराणा प्रताप हमारी राष्ट्रीय अस्मिता, हमारे संघर्ष, हमारी जिजीविषा,हमारे स्वाभिमान,हमारे पराक्रमआदि के प्रतीक हैं। आप भारतीय इतिहास के उन नायकों में से हैं जिन्होंने मुगलों को उस समय चुनौती दी जब उनसे पूरे उत्तर भारत में टकराने वाली कोई शक्ति नहीं बची थी। महाराणा प्रताप जब तक जीवित रहे मुगलों का राजस्थान विजय का सपना, सपना ही रहा।इस अवसर पर बोलते हुए पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो कुमुद त्रिपाठी ने इतिहास से सीख लेने की सलाह दी।
डॉ निगम मौर्य ने कहा कि इतिहास स्वयं को दोहराता है- पहली बार वह हमें सीख देता है और दूसरी बार प्रहसन के रूप में प्रकट होता है।जो समाज अपने इतिहास से सीख और प्रेरणा नहीं लेता है विश्व इतिहास इसका कोई स्थान नहीं होता ।आपने बताया कि विश्व में भारत एकमात्र ऐसा राष्ट्र है जहां लगभग 600 वर्षो के इस्लामिक शासन के बावजूद यहां की बहुसंख्यक जनता इस्लाम में परिवर्तित नहीं हुई।200 वर्षो के ईसाई शासन के बावजूद देश का ईसाईकरण नहीं हुआ तो इसका कारण यहां के लोगों की संघर्ष शक्ति और अपनी संस्कृति एवं परंपरा प्रति आस्था ही है। यह विडंबना ही है कि भारतीय इतिहास विजेताओं का इतिहास है। भारतीय इतिहास के अधिकांश लेखक विदेशी हैं ।सच यह है कि भारतीय इतिहास को भारतीयों के द्वारा, भारतीय नजरिए से लिखे जाने की जरूरत है।
जिसमें उनकी उपलब्धियां, उनके नायक, उनके संघर्ष, उनके विचारक, उनके प्रेरणास्रोत आदि प्रमुख स्थान रखते हों। जब भारतीय इतिहास अपने आप को दुरुस्त करेगा तो उसमें वह अपने नायकों, विचारकों,संस्कृति, परम्परा, संघर्षों, उपलब्धियों और स्थापनाओ इत्यादि को प्रमुख रूप से सम्मिलित करते हुए उचित स्थान प्रदान करेगा।
इस अवसर पर उपस्थित छात्राध्यापकों को सहायक आचार्य विवेक श्रीवास्तव ने संबोधित करते हुए महाराणा प्रताप के जीवन पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य कृष्ण कुमार जयसवाल ने किया। आभार ज्ञापन बीएड परिषद के अध्यक्ष अजय अजय गुप्ता ने किया।
इस अवसर पर डॉ चंद्र प्रकाश सिंह,डॉ दुर्ग विजय पाल सिंह समेत बड़ी संख्या में विभाग के छात्र अध्यापक मौजूद रहे।
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