Sunday 14th of September 2025 09:46:17 PM

Breaking News
  • हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाये |
  • ओली ने पद से हटने के बाद दिया पहला बयान ,बोले- भारत विरोधी रुख के कारण ही मेरा यह हाल हुआ |
  • अयोग्य 97 लाख वाहनों को कबाड़ में बदलने से मिलेगा 40,000 करोड़ रूपये जीएसटी- गडकरी |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 24 Mar 2023 6:45 PM |   324 views

एनएसएस के कार्यक्रम हमारे अंदर समाज के प्रति दायित्वबोध में वृद्धि करते हैं- चंद्रशेखर

 

कुशीनगर-विद्यालय की कक्षाओं के अंदर विषय की शिक्षा प्राप्त होती है लेकिन राष्ट्रीय सेवा योजना की कैंप में जीवन और समाज की शिक्षा मिलती है। सामान्य पाठ्यक्रम हमारे ज्ञान में वृद्धि करते हैं लेकिन एनएसएस के कार्यक्रम हमारे अंदर समाज के प्रति दायित्वबोध में वृद्धि करते हैं।

ऐसे कार्यक्रम हमारे अंदर देशभक्ति,समाज सेवा इत्यादि भावनाओं का विकास करते हैं। राष्ट्रीय सेवा योजना वह मंच है जहां आने वाली पीढ़ी को समाज के प्रति उसके दायित्वों का निर्वहन करना सिखाया जाता है।

उपरोक्त बातें डॉ चंद्रशेखर सिंह ने राष्ट्रीय सेवा योजना बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुशीनगर द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन बौद्धिक सत्र में बोलते हुए कही।आपने स्वावलंबन और आत्मविश्वास किस तरह से व्यक्ति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसको कहानी एवं उदाहरणों के माध्यम से स्वयंसेवकों को समझाया।

बौद्धिक सत्र सत्र के विशेष अतिथि समाजसेवी राकेश जायसवाल ने अपने छात्र जीवन में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक के रूप में बिताए गए अनुभवों को स्वयंसेवकों के साथ साझा किया। आपने बताया कि समाज में रहकर अपने साथ-साथ समाज हित के बारे में चिंतन करना और उसकी समस्याओं को निराकरण का हिस्सा बनना एनएसएस सिखलाता है।

सत्र की अध्यक्षता कर रहे बीएड विभाग की प्रोफेसर कुमुद त्रिपाठी ने स्त्री स्वावलंबन विषय पर अपनी बात रखते हुए बताया कि भारत ने इस दिशा में बहुत प्रगति की है फिर भी बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं जहां महिलाओं के साथ अभी भी बराबरी का व्यवहार नहीं किया जाता। उनको स्वावलंबी बनने हेतु प्रोत्साहित नहीं किया जाता।स्त्रियों को अभी भी पुरुष के सहचरी के रूप में देखा जाता है।जबकि एक महिला-पुत्री,पत्नी और माता के रूप में समाज एवं परिवार की धुरी होती है। वह किसी भी समाज की आधी आबादी होती है।बिना उसके आत्मनिर्भर हुए समाज कभी भी आत्मनिर्भर नहीं हो सकता।

आपने बताया कि कोई भी समाज अगर खुद को आत्मनिर्भर, स्वावलंबी और शिक्षित बनाना चाहता है तो सबसे पहले उसे अपनी स्त्रियों को शिक्षित आत्मनिर्भर बनाना होगा।

सत्र का संचालन स्वयंसेविका नंदिनी ने किया जबकि आभार ज्ञापन अनिकेत शर्मा ने किया।

इस अवसर पर स्वयंसेवक आदर्श मिश्रा, पूजा कुशवाहा,गरिमा राव, शिवाली सिंह आदि ने व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन में विशेष सहयोग किया। इस अवसर पर संजय गौड़,फूलचंद, चंद्र प्रकाश,विवेक समेत कुल 150 स्वयंसेवकों उपस्थित रहें।

Facebook Comments