डॉ भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम आयोजित किया गया

इस समय भारतीय समाज एवं राष्ट्र उस मोड़ पर खड़ा है जहाँ से आगे की प्रगति हेतु समान नागरिक संहिता अनिवार्य हो गयी है।एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राष्ट्र में अलग अलग धर्मो हेतु अलग अलग नागरिक संहिता क्यों हो?
तमाम विविधताओं के बावजूद समान नागरिक आचार संहिता ही वह तत्व जो राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाला मुख्य तत्व हो सकता है।उपरोक्त बातें बीएड विभाग बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुशीनगर द्वारा डॉ भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व आई ए एस हरिश्चन्द्र ने कही।

आखिर आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश में समान नागरिक आचार संहिता क्यों नहीं लागू होनी चाहिए।विशिष्ट अतिथि श्रवण कुमार ने बताया कि असहमतियों के बावजूद डॉ भीमराव आंबेडकर ने देश को प्रथम स्थान पर रखा।आपने हासिये पर खड़े समाज को मुख्य धारा में लाने हेतु जीवन पर्यन्त संघर्ष किया।
इस संगोष्ठी को बीएड विभाग के आचार्य डॉ निगम मौर्य, विवेक कुमार श्रीवास्तव एवं शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो सत्येंद्र कुमार गौतम ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन आचार्य कृष्ण कुमार जायसवाल ने किया। कार्यक्रम के संयोजक एवं राज्यमंत्री प्रो विभ्राट चंद कौशिक ने मंचस्थ अतिथियों एव उपस्थित श्रोतागणों का स्वागत किया।बीएड विभाग की अध्यक्ष प्रो कुमुद त्रिपाठी ने अतिथितगण, श्रोतागण ,पत्रकार बंधुओ आदि के प्रति आभार ज्ञापन किया।
इस अवसर पर आचार्यगण डॉ दुर्ग विजय सिंह, डॉ चंद्रप्रकाश सिंह, पूर्व प्राचार्य प्रो अमृतांशु कुमार शुक्ल,प्रो सीमा त्रिपाठी,डॉ गौरव तिवारी,प्रो रामभूषण मिश्र,डॉ वीरेंद्र कुमार साहू,प्रो राजेश कुमार सिंह, डॉ आमोद राय, सुभाषचंद्र, डॉ निरंकार राम त्रिपाठी, यज्ञेश नाथ त्रिपाठी , राजेश कुमार जायसवाल, राकेश कुमार सोनकर,आशुतोष त्रिपाठी,डॉ वीना कुमारी ,प्रो रेखा तिवारी, डॉ ज्ञानेश कुमार सिंह,डॉ कमाल हसन,एवं बीएड छात्राध्यापक नीलू सिंह,ऐश्वर्या सही,अजय ,कुणाल,सिद्धार्थ समेत बड़ी संख्या में छात्राध्यापक मौजूद रहे।
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