मातृशक्ति प्रतिमाओं पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया


भारत में प्राचीनकाल से ही महिलाओं को अत्यन्त सम्माननीय एवं गरिमामय स्थान प्राप्त रहा है। भारतीय धर्म एवं दर्शन में नारी को शक्ति एवं असीम ऊर्जा का स्रोत माना गया है। नवरात्रि के नौ दिनो में देवी के नौ अलग-अलग शक्ति स्वरूपों की उपासना होती है। देवी साक्षात् जगद्जननी हैं। नारी भी मां के रूप में जननी होती है। मां के रूप में उसने श्रीराम तथा श्रीकृष्ण को जन्म दिया है।
भारत में मातृशक्ति और शक्ति पूजन के रूप में देवी पूजन की परम्परा प्राप्त होती है। प्रारंभ में देवी की उपासना माता के रूप में की जाती थी। पुराणों की दुर्गा स्तुतियों में देवी के माता स्वरूप का वर्णन प्राप्त होता है। सृष्टि की निरन्तरता बनाये रखने में योगदान के कारण मातृशक्तियों का पूजन आरंभ हुआ था। देवी पूजन का दूसरा रूप शक्ति पूजन के रूप में प्रकट हुआ। शक्ति पूजन की अवधारणा में विभिन्न देवताओं की शक्ति उनसे सम्बद्ध देवियों की शक्तियों में निहित मानी गयी है।


उक्त अवसर पर तेज प्रताप शुक्ला, गोविन्द, मीरचन्द,वेग,प्रमोद, मनोज, शैलेश, अवधेश आदि उपस्थित रहे।
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