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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 1 Aug 2021 6:06 PM |   526 views

“सौंदर्य व प्रेम की सृष्टि तथा सामाजिक बदलाव साहित्य की रचना- प्रक्रिया का मूलाधार”

कर्नाटक राज्य अक्कमहादेवी महिला विश्वविद्यालय, विजयपुर, कर्नाटक के हिन्दी विभाग की ओर से प्रेमचंद जयंती समारोह के अवसर पर आभासी माध्यम से प्रो परिचय दास , अध्यक्ष, हिन्दी विभाग , नव  नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय , नालंदा का व्याख्यान आयोजित हुआ, जिसका विषय था- ” प्रेमचंद की रचना – प्रक्रिया”।
 
प्रो परिचय दास ने कहा कि प्रेमचंद की दृष्टि में “साहित्य जीवन की आलोचना” है। उनकी रचना- प्रक्रिया  का आधार ”सौंदर्य की अनुभूति व प्रेम की ऊष्णता” है। इसी लिए साहित्यकार का एक वाक्य, एक शब्द  , एक संकेत इस तरह हमारे अंदर जा बैठता है कि हमारा अंत:करण प्रकाशित हो जाता है। स्वाधीनता का भाव, सृजन की आत्मा, सौंदर्य का सार व जीवन की सच्चाइयाँ रचना-प्रक्रिया को आधार देती हैं। यही सामाजिक बदलाव का तर्क भी देता है। पाठक यह नहीं चाहता कि लेखक सब कुछ लिख दे। वह अपनी कल्पना का स्पेस भी चाहता है।
 
आभासी कार्यक्रम में कर्नाटक राज्य अक्कमहादेवी महिला विश्वविद्यालय , विजयपुर कर्नाटक की हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डॉ राजू बागलकोट,  नामदेव गौड़ा, गुलाब राठौड़, अमरनाथ प्रजापति भी मौजूद थे। 
 
नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डॉ नीहारिका लाभ , कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. गणेश पवार , विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोध छात्र एवं एम ए, बी ए के छात्र, अन्य छात्र तथा प्रेमचंद साहित्य के प्रेमी इस आभासी कार्यक्रम में  उपस्थित थे।
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