Thursday 6th of November 2025 12:04:50 PM

Breaking News
  • भगदड़ विवादों के बीच विजय का ऐलान ,2026 में जीतेंगे चुनाव ,कोई रोक नहीं पाएगा|
  • सेना को राजनीति में मत घसीटों ,राजनाथ सिंह को राहुल गाँधी को दो टूक|
  • मिर्ज़ापुर में कार्तिक पूर्णिमा से लौट रही 6 महिलाओं की ट्रेन से कटकर मौत |
  • मारुती सुजुकी ने घरेलू बाज़ार में तीन करोड़ की बिक्री का आंकड़ा पार किया |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 12 May 2:38 PM |   2064 views

सर्वभक्षी कीट मिलीबग का प्रबंधन कैसे करें ?

बलिया -पिछले कई वर्षो से मिली बग के रूप मे एक नई चूषक कीट की  समस्या देखने को मिल रही  है तथा आने वाले समय में इस कीट की समस्या और बढ़ेगी, इस लिये समय रहते इसका प्रबंधन करना आवश्यक है।
 
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि  प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय  कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि  विज्ञान  केन्द्र सोहाँव बलिया  के अध्यक्ष  एवं प्रोफेसर (कीट विज्ञान)  डा. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि मिली बग कीट  पहले  कुछ खरपतवारों तथा आम के पौधों पर ही दिखाई पड़ता था, परंतु धीरे-धीरे अपना स्वभाव बदलकर यह अन्य फलों फूलों, फसलों को भी नुकसान पहुंचाने लगा है।
 
मिलीबग के  पोषक पौधे- यह आम, कटहल, अमरूद, नीबू, आँवला,  पपीता, शहतूत, करौदा , ,अंजीर, ,पीपल. बरगद ,  भिंडी, बैगन, मिर्च, गन्ना, गुलाब, गुड़हल  आदि पर पाया जाता है।     
 
पहचान एवं क्षति के लक्षण-मिली बग एक छोटा, अंडाकार, पीले, भूरे या हल्के भूरे रंग का सर्वभक्षी कीट है। इस कीट के शरीर  सफेद मोम जैसी चूर्णी पदार्थ से ढके रहते हैं। यह पौधों का रस चूसता है तथा मधु स्राव भी छोड़ता है, जिस पर काली फफूंद लग जाती है।  उन्होंने बताया कि यह कीट माह मार्च से नवंबर तक सक्रिय रहता है तथा प्रौढ़ के रूप में सर्दियों में निष्क्रिय हो जाता है।यह पौधों का रस चूस कर पौधों को कमजोर बना देते हैं।पौधों की पत्तियों, तने, फूलों एवं फलों पर सफेद रुई जैसे गुच्छे उभरने लगते हैं। इसलिए इसे दहिया रोग भी  कहा जाता है।इसके प्रकोप से पत्तियां पीली हो कर मुड़ने लगती हैं।यह कीट चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं जिससे चीटियां एवं अन्य कीट आकर्षित होते हैं।
 
 
प्रबंधन फूलों एवं सब्जियों मे– अच्छे स्वस्थ बीजों का चयन करें।  खेत में खरपतवार को नष्ट कर दें तथा खेत को साफ रखें।पौधों के संक्रमित भाग को पौधों से अलग कर के नष्ट करें।संक्रमित खेत में प्रयोग किए गए यंत्रो को साफ कर के प्रयोग करें।
 
इससे बचने के लिए एजाडिरेक्टीन 2 मिली या  2 मिली क्लोरोपाइरीफास या 2 मिली साइपरमेथ्रिन  प्रति लीटर पानी  में मिला कर छिड़काव करें। 
 
बृक्षों में प्रबंधन– गर्मी के दिनों माह मई -जून  में पेड़ के चारों ओर  एक मीटर  लम्बाई में  भूमि की अच्छी तरह गुड़ाई करनी चाहिए, ताकि दिये हुए अण्डे ऊपर  आकर नष्ट किये जा सके।
 
नवम्बर माह में जिस समय कीट दिखाई देते है तो उनको पेड़ों पर चढ़ने से रोकने के लिए जमीन से डेढ़ फीट ऊपर तने में   मोटी पालीथीन  30 सेमी. चौड़ी पेड़ के चारों तरफ बाँध देना चाहिए तथा बँधे पालीथीन के ऊपर  एवं नीचे की  तरफ ग्रीस  लगा देना चाहिए जिससे शिशु पेड़ पर नही चढ़ पाते है।
 
इससे बचने के लिए एजाडिरेक्टीन 2 मिली या  2 मिली क्लोरोपाइरीफास या 2 मिली साइपरमेथ्रिन  प्रति लीटर में घोल कर छिड़काव करे। ध्यान रहे पहले अन्य उपायों एवं  जैविक कीटनाशी का प्रयोग करे। बहुत आवश्यकता पड़ने पर ही रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग सावधानी पूर्वक करें।
Facebook Comments