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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 14 Jul 2:03 PM |   487 views

धान की रोपाई के समय रखें ध्यान -प्रो. रवि प्रकाश

बलिया / सोहाव – खरीफ फसलों में धान की प्रमुख रूप से खेती की जाती है ।किसान भाइयों को धान की फसल से बहुत   उमीद रहती है। इस लिए धान की रोपाई  करने में काफी सावधानी रखनी चाहिए ।

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र सोहाँव  बलिया के  अध्यक्ष प्रो. रवि  प्रकाश मौर्य ने धान  की खेती करने वाले किसान भाइयों को सलाह  दिया है कि स्वस्थ्य  एवं रोग /कीट मुक्त नर्सरी  ही अधिक व गुणवत्ता पूर्ण धान के उत्पादन का आधार होता है । खेतों की मेड़ों को रोपाई से पहले साफ सुथरा कर लेना चाहिए जिससे कीट  नहीं पनपते है।धान की रोपाई जुलाई माह के मध्य तक अवश्य कर लेना चाहिए|

 उसके बाद उपज में कमी निरंतर होने लगती है। यह कमी 30से  40 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर मे प्रति दिन होती है। पौधों की रोपाई 3 से 4 सेंटीमीटर से अधिक गहराई पर नहीं करना चाहिए अन्यथा  कल्ले कम निकलते हैं तथा उपज मे कमी होती है। 21 से 25 दिन की नर्सरी रोपाई के लिए उपयुक्त होती है। साधारण उर्वरा भूमि मे पंक्तियों एवं पौधों की दूरी 20 × 10 सेंटीमीटर  उर्वरा  भूमि मे 20× 15 सेमी. रखें। एक स्थान पर 2से 3 पौधे लगाए। यदि रोपाई में देरी हो जाए तो  एक स्थान पर 3 से 4 पौध लगाना उचित होगा। 

ध्यान रहे कि प्रति वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 50 हिल अवश्य होना चाहिए। ऊसर तथा  देर से रोपाई की स्थिति में 65 से 70 हिल होना चाहिए। रोपाई के बाद  जो पौधे मर जाए, उनके स्थान पर दूसरे पौधो को तुरन्त लगा दे ।अच्छी उपज के लिए प्रति वर्ग मीटर 250 से 350 बालियों की संख्या होनी चाहिए ।नर्सरी बड़ी हो जाने पर तथा देर से रोपाई  की स्थिति में पौधों  की चोटी चार अंगुल काटकर रोपाई करनी चाहिए। जिससे  नर्सरी में दिए हुए कीटो के अण्डे नष्ट हो जायेंगे।

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