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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 27 Jun 11:50 AM |   657 views

टिड्डी कीट से रहे सावधान यदि आक्रमण हो तो समूह मे करे प्रबंन्धन- प्रो. मौर्य

बलिया/सोहाव – टिड्डी दल  जनपद गाजीपुर से होते हुए  बलिया जनपद मे प्रवेश कर चुका है। फिलहाल  उजियार घाट के आस पास चार किमी लक्ष्मणपुर ,नरही चितबढा के आस पास तीन खण्डों मे बट गया है। इनके आक्रमण की सूचना आज अपरान्ह मे प्राप्त हुई है। ये सर्बभक्षी कीटो की श्रेणी मे आता है, अतः किसी भी पौधे को नुक सान पहुँचा सकती है। 
 
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधोगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव के अध्यक्ष डा. रवि प्रकाश मौर्य ,प्रोफेसर (कीट विज्ञान) का कहना है कि टिड्डी   कीट विश्व मे लगभग सभी जगह पाया जाता है। इस लिए इसे अन्तर्राष्ट्रीय शत्रु के रूप मे मानी जाती है।दल में करोड़ों की संख्या में लगभग दो ढाई इंच लंबे कीट होते हैं। जो फसलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाते हैं।  यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं। ये टिड्डी दल किसी क्षेत्र में सायंकाल  6 से 8 बजे के आसपास पहुँचकर जमीन पर बैठ जाते हैं। वहीं पर रात भर फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं। और फिर सुबह 8 -9 बजे के करीब उड़ान भरते हैं।
 
 टिड्डी दल फसलों एवं समस्त वनस्पति को खा कर चट कर देता है। इनको उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि करने वाले  यंत्रों के माध्यम से भोर का समय उपयुक्त होता है। 
 
 किसान भाइयों को सलाह है कि सामुहिक रूप से गाँव, क्षेत्र , परिवार के सभी सदस्य मिलकर  ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर उनकों अपने खेत पर बैठने न दें ।  अपने खेतों में आग जलाकर, पटाखे फोड़ कर, थाली बजाकर, ढोल नगाड़े बजाकर आवाज करें, ट्रेक्टर के साइलेसंर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं। इसके अलावा खेतों में कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर के टिड्डी को तथा उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है। प्रकाश प्रपंच लगाकर के एकत्रित करें।
 
 
इस समय खेत मे खड़ी  फसल गन्ना, मक्का, उर्द ,मूँग सूरजमुखी तथा ,सब्जियों मे कद् वर्गीय, भिन्डी ,ल़ोविया  आदि की विशेष क्षति  टिड्डी दल कर सकता है। इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। टिड्डी के प्रबंधन  हेतु फसलों पर  नीम के बीजों का पाउडर बनाकर  40 ग्राम पाउडर  प्रति लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव किया जाय तो  2-3 सप्ताह तक फसल सुरक्षित रहती है।
 
बेन्डियोकार्ब 80 % 125 ग्राम या क्लोरपाइरीफास 20 % ईसी 1200 मिली या क्लोरपाइरीफास 50 % ईसी 480 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 % ईसी 625 मिली या डेल्टामेथरिन 1.25 % एस. सी. 1400 मिली या डाईफ्लूबेनज्यूरॉन 25 % डब्ल्यूपी 120 ग्राम या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5 % ईसी 400 मिली या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 10 % डब्ल्यूपी 200 ग्राम को 500-600 लीटर पानी मे घोल कर  प्रति हैक्टेयर  अर्थात 4 बीघा खेत मे छिड़काव करे। या मेलाथियान 5 % धुल की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें। अथवा कृषि विभाग की कृषि रक्षा इकाइयों में उपलब्ध उचित रसायन या साधन का उपयोग करें। 
 
 यदि आपके क्षेत्र में टिड्डी दल दिखाई देता है तो उपरोक्त उपाय को अपनाते हुए तत्काल अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के अधिकारियों व प्राविधिक सहायकों / सलाहकारों अथवा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करें।
 
 
 
 
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