भिंडी की फसल को कीट एवं रोगों से बचाएं किसान
बलिया – इस समय भिंडी की फसल पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।गर्मी के कारण तथा मौसम बदलने के कारण विभिन्न कीट एवं बीमारियों का प्रकोप हो सकता है ।आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष डॉ. रवि प्रकाश मौर्य प्रोफेसर (कीट विज्ञान) ने भिंडी की खेती करने वाले किसान भाइयों को कीट और रोगों से बचाने की सलाह दी है। उन्होने बताया कि इस समय फल छेदक एवं लालवग कीट व पीला मुजैक बीमारी का भिंडी की फसल पर प्रकोप हो सकता है।
फल वेधक कीट पहले कोमल टहनियो और बाद में फल में छेद करता है। जिसके कारण प्ररोह /टहनियाँ मुरझाकर सूख जाते हैं। ग्रसित फलियां टेढ़े-मेढ़े हो जाती हैं। इसकी रोकथाम के लिए फोरोमेन ट्रेप 5 प्रति एकड़ की दर से खेत मे लगाये। नीम बीज चूर्ण 30 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर 10 दिनों के अंतराल पर 5 बार छिडकावं करें अथवा मैलाथियान 50 ई.सी 2 मिली को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।भिंडी के लालवग कीट के शिशु एवं प्रौढ ,दोनों पत्तियो का रस चूसकर नुकसान करते हैं । जिससे पत्तियां सूख जाती हैं ।इसकी रोकथाम हेतु थायोमेथोक्जेम 75 एस.जी.एक ग्राम 2 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।पीला शिरा मुजैक बीमारी कै प्रकोप होने पर पतियों की शिराये पीली होकर मोटी हो जाती है ।बाद में पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं ।

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