Friday 28th of November 2025 08:11:38 AM

Breaking News
  • मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को चुनौती सुप्रीमकोर्ट में 2 दिसम्बर को सुनवाई |
  • चाहे कुछ भी हो जाए ,बंगला नहीं छोड़ेंगे,राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर RJD का कड़ा रुख |
  •  दिसम्बर में भारत लाया जा सकता है चोकसी ,बेल्जियम की अदालत में 9 तारीख को फैसला |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 18 Oct 2019 7:42 PM |   1444 views

पेयजल की उपलब्धता पहली प्राथमिकता- एनजीटी

नई  दिल्ली- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि पेयजल की उपलब्धता पहली प्राथमिकता है इसलिए उद्योग जगत और संबंधित प्रशासन पर भूजल के अंधाधुंध दोहन की अनुमति देने के बजाय उद्योगों के निर्वाह के विकल्प तलाशने का जिम्मा आता है। ह रित पैनल ने कहा कि चूंकि ‘गंभीर’ दोहन से गुजर चुके क्षेत्रों को अत्यधिक भूजल निकाले जाने से प्रभावित पाया गया, ऐसे में वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए भूजल को निकाले जाने पर विनियमन में कोई छूट नहीं दी जा सकती है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अगुवाई में पीठ ने कहा, ‘‘ पेयजल की उपलब्धता पहली प्राथमिकता है। ‘एहतियाती सिद्धांत , सतत विकास’ तथा पीढ़ी दर पीढ़ी समानता जीवन का हिस्सा है तथा भूजल के संभरण के अभाव में उसे अनियंत्रित रूप से निकाले जाने को किसी भी वाणिज्यिक निकाय के लिए अधिकार नहीं माना जा सकता। वाणिज्यिक उद्देश्यों के वास्ते पानी की उपलब्धता की कमी का इलाज अत्यधिक दोहन, बहुत ज्यादा दोहन और अर्ध दोहन वाले क्षेत्रों में भूजल की निकासी नहीं हो सकता।

पीठ ने कहा, ‘‘ पानी निश्चितरूप से एक दुर्लभ संसाधन है और उद्योग जगत को इसकी कमी की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। उद्योगों और संबंधित प्रशासन को स्थिति सुधरने तक ऐसे क्षेत्रों में भूजल के अंधाधुंध दोहन की अनुमति देने के बजाय उद्योगों के निर्वाह के विकल्पों को ढूढने का जिम्मा आता है। अधिकरण ने कहा कि विकल्प का मतलब उन क्षेत्रों में जाना जहां पानी की कमी नहीं है या वे तरीके ढूंढना जहां पानी की जरूरत नहीं है।

Facebook Comments