Friday 28th of November 2025 06:21:00 AM

Breaking News
  • मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को चुनौती सुप्रीमकोर्ट में 2 दिसम्बर को सुनवाई |
  • चाहे कुछ भी हो जाए ,बंगला नहीं छोड़ेंगे,राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर RJD का कड़ा रुख |
  •  दिसम्बर में भारत लाया जा सकता है चोकसी ,बेल्जियम की अदालत में 9 तारीख को फैसला |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 26 Sep 2019 5:45 PM |   1916 views

बौद्ध मठों के लिए मशहूर है नॉर्थ-ईस्ट

देश में वैसे तो कई ऐसी जगहें है जिसे देखकर आपके मन में ख्याल आएगा कि इसे कुदरत ने बड़ी फुर्सत से बनाया होगा तभी तो यहां कि सुंदरता देखकर नज़रे हटाने का मन ही नहीं करता। भारत की बला की खूबसूरत जगहों से एक है अरुणाचल प्रदेश का तवांग जिला। इस छोटे से पहाड़ी जिले को कुदरत ने इतनी खूबसूरती से सजाया कि इसे देखने का बाद आपका वहां से आने का मन ही नहीं होगा। यहां की सुंदरता की वजह से ही इसे नॉ़र्थ-ईस्ट का स्वर्ग कहा जाता है।
बौद्ध मठों का गढ़
तवांग तक पहुंचना आसान नहीं है क्योंकि यहां से एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन बहुत दूर है, बावजूद इसके यहां कि सुंदरता देखने के लिए लोग हर मुश्किल पार करके आते हैं। शांत और सुंदर तवांग के बौद्ध मठ पूरी दुनिया में मशहूर हैं। तवांग छठे दलाई लामा, लोबसंग ग्यात्सो का जन्म स्थान होने के लिए प्रसिद्ध है और भारत में सबसे बड़े बौद्ध मठ भी यहीं है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। रोमांच के शौकीनों के लिए यह बेहतरीन जगह हैं यहां कैंपिंग और बर्फीले रास्तों पर चलने का अनुभव यादगार बन जाएगा। याक की सवारी से लेकर पहाड़ पर बने होटल से बाहर का सुंदर नज़ारा देखना अनोखा अनुभव होता है। वैसे तो पूरा तवांग ही बेहद खूबसूरत है, लेकिन यहां आने पर कुछ मशहूर जगहों की सैर ज़रूर करें।
तवांग मठ 
यह मठ भारत का सबसे बड़ा मठ है और पोटाला पैलेस के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ। यह मठ तवांग नदी की घाटी में स्थित है। इसे 17 वीं सदी में मेरा लामा द्वारा ने बनाया था। यहां पांडुलिपियों, पुस्तकों और अन्य कलाकृतियों के अद्भुत संग्रह है।
 
सेला दर्रा 
यह अरुणाचल प्रदेश की मशहूर जगहों में से एक है। यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। यह दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों में से एक है। सर्दियों में यहां की झील बर्फ की तरह जम जाती है।
 
बुमला दर्रा 
यह दर्रा तवांग से लगभग 37 किमी दूर है। यहां जाने वाली सड़क की हालत पूरे साल अच्छी नहीं होती, इसलिए इस खूबसूरत जगह की सैर आप मई से अक्टूबर के बीच ही कर सकते हैं।
 
नूरानांग फॉल्स
इसे जंग फॉल्स के नाम से भी जाना जाता है जो लगभग 100 मीटर की ऊंचाई पर है। नूरानांग नदी और नूरानांग फॉल्स एक नूरा नाम की स्थानीय महिला के नाम पर पड़ा है जिसने 1962 में भारत-चीन की युद्ध में सैनिकों की मदद की थी।
 
तवांग युद्ध स्मारक
तवांग युद्ध स्मारक का आकार स्तूप की तरह है। यह स्मारक 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के शहीदों की याद में बना है। यह स्मारक नामग्याल चोरटेन के रूप में मशहूर है। इस पर करीब 2420 शहीद सैनिकों के नाम लिखे हैं।तवांग जाने के लिए नज़दीकी एयरपोर्ट तेजपुर है जो यहां से करीब 317 किलोमीटर दूर है। दूसरा गुवाहाटी एयरपोर्ट है जो तवांग से करीब 480 किलोमीटर दूर है। गुवाहटी तक ट्रेन या हवाई जहाज से आने के बाद आपको सड़क  के रास्ते तवांग जाना होगा। यहां कि सड़कें बहुत घुमावदार हैं।
 
– कंचन सिंह
 
Facebook Comments