हिंदी
सुनी भाषा अनेकों पर लगी सबसे भली हिंदी
हज़ारों काम जब होने लगे हिंदी में संपादित,
विदेशी भूमि पर पथ से ज़रा भी ना टली हिंदी
हमारी आत्मा को कर रही मुरली सी वो झंकृत
सुनी जो श्याम के मुख सी ,सुरीली सांवली हिंदी
हमें है प्रेम हिंदी से हमारी जान हिंदी है,
रगों में रक्त बन हर वक्त है दौड़ी चली हिंदी
प्रशंसा हर तरफ इसके लचीलेपन की होती है
सभी के स्नेह के मजबूत सांचे में ढली हिंदी
हमारी राजभाषा है इसे शत बार वन्दन है
जड़ें अद्भुत पड़ीं गहरी,नहीं है खोखली हिंदी
– डॉ कादम्बिनी सिंह
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