श्रीकृष्ण
श्री कृष्ण के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित है , कृष्ण हैं महासम्भूति तारक ब्रह्म | कृष्ण एक महान संकल्प के साथ इस धरा धाम पर अवतरित हुए थे | महाभारत इसी संकल्प का एक हिस्सा है |
महर्षि गर्ग ने ध्यानावस्था में कृष्ण के जन्म के विषय में जाना , उनके लोकोत्तर पुरुषोत्तम स्वरुप का आभाष पाया | महर्षि गर्ग ने ही कृष्ण नाम रखा था |श्रीकृष्ण ने तात्कालिक , सामाजिक , राजनैतिक क्षेत्र में जो कुछ क्रांति के टुकड़े – टुकड़े बिखरे भारत को एक महाभारत बनाया |इसकी परिकल्पना किसी को थी तो बस महर्षि गर्ग को | कौरवो और पांडवों के बीच का युद्ध महाभारत नही है |महाभारत है परस्पर विवाद में, लडाईयो में उलझे , छोटे – छोटे राज्यों , छोटे – छोटे सम्प्रदायों को गुथकर भारत को महाभारत करने की कथा |
इसके नायक न युधिष्ठिर हैं , न दुर्योधन ,महाभारत के नायक हैं – श्री कृष्ण
श्री कृष्ण के सम्पूर्ण जीवनकाल को दो भागो में बांटकर देखा जा सकता है –
1 – ब्रज के कृष्ण
2 – पार्थ सारथी कृष्ण
ब्रज के कृष्ण सरल और सहज हैं , सबको अपने मधुर आचरण से आनंदित करते रहते हैं |पार्थ सारथी कृष्ण कठोर और अनुशासित हैं |
कृष्ण के बारे में कहा गया है कि –
” यशोदानन्द नन्दनम सुरेन्द्रपाद वन्दनम
सुवर्णरत्न मंडलम नमामि कृष्ण सुन्दरम
भवाधिकर्णधारकम अयार्ति नाश कारकम
मुमुक्षुमुक्ति दायकम नमामि कृष्ण सुन्दरम् ||
( नरसिंह )