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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 11 Aug 2020 1:04 PM |   317 views

श्रीकृष्ण

श्री कृष्ण के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित है , कृष्ण हैं  महासम्भूति तारक ब्रह्म | कृष्ण एक महान संकल्प के साथ इस धरा धाम पर अवतरित हुए थे | महाभारत इसी संकल्प का एक  हिस्सा है |

महर्षि गर्ग ने ध्यानावस्था में कृष्ण के जन्म के विषय में जाना , उनके लोकोत्तर पुरुषोत्तम स्वरुप का आभाष पाया | महर्षि गर्ग ने  ही कृष्ण नाम रखा था  |श्रीकृष्ण ने तात्कालिक , सामाजिक , राजनैतिक क्षेत्र में जो कुछ क्रांति के टुकड़े – टुकड़े  बिखरे भारत को एक महाभारत बनाया |इसकी परिकल्पना किसी को थी तो बस महर्षि गर्ग को | कौरवो और पांडवों के बीच का युद्ध महाभारत नही है |महाभारत है परस्पर विवाद में, लडाईयो में उलझे , छोटे – छोटे राज्यों , छोटे – छोटे सम्प्रदायों को गुथकर भारत को महाभारत करने की कथा |

इसके नायक न युधिष्ठिर हैं , न दुर्योधन ,महाभारत के नायक हैं – श्री कृष्ण 

श्री कृष्ण के  सम्पूर्ण जीवनकाल को दो भागो में बांटकर देखा जा सकता है – 

1 – ब्रज के कृष्ण 

2 – पार्थ सारथी कृष्ण 

ब्रज के कृष्ण सरल और सहज हैं , सबको अपने मधुर आचरण से आनंदित करते रहते हैं |पार्थ सारथी कृष्ण कठोर और अनुशासित हैं |

कृष्ण के बारे में कहा गया है कि – 

” यशोदानन्द नन्दनम  सुरेन्द्रपाद वन्दनम 

सुवर्णरत्न मंडलम नमामि कृष्ण सुन्दरम 

भवाधिकर्णधारकम  अयार्ति नाश कारकम 

मुमुक्षुमुक्ति दायकम नमामि कृष्ण सुन्दरम् ||

( नरसिंह ) 

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