अयोध्या ही साकेत है
देवरिया – राष्ट्रीय समानता दल उत्तर प्रदेश एवं विभिन्न सामाजिक राजनैतिक संगठनों की एक आवश्यक बैठक जिला मुख्यालय पर सम्पन्न हुआ। बैठक में अयोध्या जिला फैजाबाद उत्तर प्रदेश में भूमि समतलीकरण वह खुदाई मिल रहे बौद्ध कालीन अवशेष तथा तथागत बुद्ध की प्रतिमा के संबंध में विचार विमर्श किया गया, उपस्थित साथियों ने साकेत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि तथागत बुद्ध सत्य है ।
1860 के दशक में कार्नेगी ने बाबरी मस्जिद के आसपास पहले की इमारत के अच्छी तरह सुरक्षित स्तंभों के बारे में लिखा है जो मस्जिद में भी लगे हुए हुए थे |
ये मज़बूत , ठोस प्रकृति के गहरे , स्लेटी या काले रंग के पत्थर हैं जिन्हें स्थानीय लोग कसौटी कहते हैं और जिनके ऊपर विभिन्न चिन्हों की नक्काशी हुई है. यह उन बौद्ध स्तंभों में मिलते हैं जिन्हें मैंने बनारस और दूसरे स्थानों पर देखा है. ” कार्नेगी के अतरिक्त वहां बौद्ध मठो के प्रमाण आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया द्वारा 1862-63 में दिया जा चुका है| इसके अलावा 1969-70 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के एके नारायण को भी उत्खनन में बुद्धिस्ट प्रमाण मिल चुके हैं।
ये सभी प्रमाण साकेत के महत्व को रेखांकित करते है।ऐतिहासिक स्थलों के साथ छेड़छाड़ कारण उसके स्वरूप में बदलाव करना इतिहास को मिटाने के समान है।यह एक गम्भीर अपराध है।भारतवर्ष में अनेकों बौद्ध स्थलों का रखरखाव और नियंत्रण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान के पास है।
बैठक में उपरोक्त विषय पर प्रस्ताव पास किया गया जो निम्न प्रकार है-
1-अयोध्या जिला फैजाबाद उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल भूमि समतलीकरण तथा उत्खनन कार्य को स्थगित किया जाये ।
2-महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (API) के नियंत्रण तथा अधिकार क्षेत्र में दिया जाये ।
3-महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल को “साकेत” के नाम से उद्घोषित किया जाये ।
4-महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल का अध्ययन इतिहास व पुरातत्व विद्वानों के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल द्वारा कराकर अध्ययन रिपोर्ट सार्वजनिक किया जाये ।
5-पुरातात्विक स्थल अवशेष अधिनियम 1958 तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम 1972 के प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कार्यवाही किया जाये ।
इस बैठक में संजयदीप कुशवाहा, चतुरानन ओझा, अगमस्वरूप कुशवाहा, रामकिशोर वर्मा, सुनील कुशवाहा , राजेश यादव, दिव्यांश श्रीवास्तव, रामप्रवेश कुशवाहा , जनार्दन प्रसाद शाही आदि लोग मौजूद रहे |
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