घर में रह नरेश
हर साल कोरोना अइले, बड़ परेशानी बलमू अपने गांव में चलिके फिर से, कर किसानी बलमू अब कबहूं नाहीं जइबइ , पूना ,बांबे और दिल्ली भागि – भागि आवइ के
हर साल कोरोना अइले, बड़ परेशानी बलमू अपने गांव में चलिके फिर से, कर किसानी बलमू अब कबहूं नाहीं जइबइ , पूना ,बांबे और दिल्ली भागि – भागि आवइ के
ऐ खुदा तू देना सहारा चल दिया मन अकेला बेचारा राह देखता रहा सबका आया ना कोई इसका अपना। नया नया है यह सफर काश मिल जाए कोई हमदर्द
दुनियां में नाम आज होता कि,संविधान ऐसा बना है देश का विकास हो यह पहली है वरीयता, जाति – धर्म से भी ऊपर राष्ट्र की वरिष्ठता मानव – मानव में
ये सगा है, वो पराया वो काला है, ये है गोरा यह अधम है, वह है उत्तम वह ऊंचा है, यह है निम्नतम यूं जन – जन ना भेद करें
होली आई, होली आई खुश हैं आसू -अंशू भाई रंग-गुलाल, पिचकारी के संग
मेरे गांव में मोहन आ जाओ होली में अबीर – गुलाल साथ पिचकारी, खड़े हैं रंग लिए नर – नारी। गोपी , ग्वाल- गोपाल सभी आओ होली में, मेरे गांव
मेहनत से किसान उपजइहैं , खेत में सोना- चानी । चारिउ ओर खुशहाली छाए गांव बने रजधानी। कलियन के मकरंद पहरुआ अमराई के शानी । ओढ़ि केसरिया धानी चूनर चमकइं
नारी तू कभी भी अबला नहीं है कौन कहता है तू सबला नहीं है। याद करो अपने इतिहास को, जगा दो सोए हुए विश्वास को, सोचो तुझमें कौन
जन जन के मन में जगे,नये सृजन की आस ली अंगड़ाई प्रकृति ने, आया है मधुमास। पर्ण पुरातन की जगह,नव किसलय का रूप आभा कंचन सी लगे,पड़ती जब है
कहे वेलेंटाइन डे, छोड़ो अपनी शर्म इज़हार करो प्यार का, यही आज का धर्म यही आज का धर्म,न सोचें ऊपर नीचे भले उसकी जूती, पड़ेंगे आगे पीछे कहते हैं”आग्नेय”,मर्द वही
कहे वेलेंटाइन डे, छोड़ो अपनी शर्म इज़हार करो प्यार का, यही आज का धर्म यही आज का धर्म,न सोचें ऊपर नीचे भले उसकी जूती, पड़ेंगे आगे पीछे कहते हैं”आग्नेय”,मर्द वही