
सरकारी एवं निजी अस्पताल
एक दिन अपने आंगन में खड़ा था, अचानक चक्कर आया और गिर कर बेहोश हो गया| परिवार के लोग मुझे लेकर सरकारी अस्पताल गए| अस्पताल बंद था, इसलिए आपातकालीन कक्ष
एक दिन अपने आंगन में खड़ा था, अचानक चक्कर आया और गिर कर बेहोश हो गया| परिवार के लोग मुझे लेकर सरकारी अस्पताल गए| अस्पताल बंद था, इसलिए आपातकालीन कक्ष
रोजगार के लिए गांव को शहर की तरफ ताकना पड़ता है। खेती-किसानी में अब कुछ खास बचा नहीं है। परम्परागत खेती की जगह अब पढ़ा-लिखा किसान व्यावसायिक फसलें उगाकर खुद
मेरे गांव में एक लपेटन काका हैं जिनकी उम्र लगभग नब्बे साल है| एक दिन अपने दरवाजे पर मुंह लटकाए बैठे थे| मै उधर से गुजर रहा था| उनको
चुनाव करीब आते ही अपना लाभ देखते हुए नेता लोग अपनी पार्टी बदलते रहते हैं| ऐसी पार्टी को भी छोड़ देते हैं जिसमें पांच साल तक मंत्री रह कर चांदी
रात को दो बजे नींद खुली। बदन इस देश की तरह कराह रहा था ! खासकर जहां जहां जोड़ हैं। जोड़ों का क्या ईलाज? उत्तर-पश्चिम-पूर्व के सारे जोड़ कराह रहे
एक बेर एगो बइठकी भोजपुरी परिषद, बलिया के तत्वावधान में चलत रहे| भोजपुरी परिषद के सचिव भइला के नाते हमीं संचालन करत रहलीं| ओ बइठकी में भोजपुरी, हिंदी आ अंग्रेजी
हमार एगो पट्टीदार गोपाल भईया के नोकरी कवनो बहुते बड़ पद पर लाग गइल आ ऊ दिल्ली में रहे लगलन| कबो काल्ह एने अइबो करिहें त खाली गिटिर पिटिर अंग्रेजी
शहर से आने में रोज सांझ बिता ही देते हो, कभी तो समय से आकर बच्चों की कापी, किताब ,कलम, पेंसिल और रबर की जानकारी ले लिया करो। इतनी रात
मैं पैदल बाजार जा रहा था, अचानक एक लक्जरी गाड़ी मेरे सामने आ गयी. अपने को बचाते हुए मैं किनारे हो गया| उस गाड़ी के चालक ने मुझे आवाज
मोबाइल की घंटी बजी, मैंने कहा ” हलो ” । उधर से एक मेरे मित्र की आवाज आई “मैं बहुत परेशान हूं, मेरी पत्नी को कोरोना हो गया है।”
मोबाइल की घंटी बजी, मैंने कहा ” हलो ” । उधर से एक मेरे मित्र की आवाज आई “मैं बहुत परेशान हूं, मेरी पत्नी को कोरोना हो गया है।”