जय हिंद
उत्कल के उगते सूरज का,
बंगाल में किरणें आई
किलकारी गूंजी आंगन में,
परिवार में खुशियां छाई
कटक रेवेंसा से पढ़ कर,
कैंब्रिज में शिक्षा पाए
हार नहीं मानी जीवन में,
कभी नहीं घबड़ाए
संकल्प, समर्पण , ओजस्वी-
साहस अदम्य व्यक्तित्व में था
स्वतंत्रता संग्राम – सेनानी,
अद्भुत क्षमता नेतृत्व में था
अंग्रेजो के दमन नीति से
था, आक्रोशित हिंदुस्तान
दहक उठी ज्वाला तन में,
जागा सुभाष में स्वाभिमान
भगत सिंह के फांसी से,
नेताजी अश्रु बहाए
गांधी जी के भारत छोड़ो,
के विरुद्ध आवाज उठाए
सहयोग लिया जापान से तब,
आजाद हिंद की फौज बनी
भर्ती हुए सिक्ख – मद्रासी,
चिनगारी अब रौद्र बनी
देशवासियों मुझे खून दो,
तुझको आजादी दूंगा
लहरेगा तिरंगा हिमगिरि पर,
तस्वीर धरा का बदलूंगा
नेताजी का नाम जहां,
” जय हिंद” वहीं पर झलकेगा
स्वर्णिम इतिहास के पन्नों में,
सूरज – तारों सा चमकेगा
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