Tuesday 23rd of April 2024 07:08:41 PM

Breaking News
  • नितीश कुमार की अपील , बिहार की प्रगति को रुकने न दे , NDA का करे समर्थन |
  • इंग्लिश चैनल पार करते समय एक बच्चे सहित कम से कम पांच लोगो की मौत |
  • संकट से निपटने को बनायीं गयी पूंजी बफर व्यवस्था लागू करने की जरुरत नहीं -RBI
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 9 Jan 8:13 PM |   655 views

आम के बागों का प्रबंधनःप्रो. रवि प्रकाश

आम के बृक्षों  में बौर आना  प्रारंभ हो गया है। इस लिए बागवानों को  आम की अधिक से अधिक  उत्पादन लेने  के लिए अभी से इसकी देखभाल करनी होगी। क्योंकि जहाँ चूके  तो रोग और कीट पूरी बगियाँ  को बर्बाद कर सकते हैं। आम को फलों  का राजा कहा जाता है। और राजा की देखभाल अच्छी तरह होनी चाहिए । 
 
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधोगिक विश्वविधालय कुमारगंज अयोध्या के सेवानिवृत्त वरिष्ठ कृषि कीट   वैज्ञानिक  प्रो.रविप्रकाश मौर्य  ने बताया  कि जिस समय पेड़ों पर बौर लगा हो तथा खिल गया  हो उस समय किसी भी कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका परागण हवा या मधु मक्खियों द्वारा होता है। अगर पुष्पा अवस्था में कीटनाशक का छिड़काव कर दिया तो मधुमक्खियाँ मर जाएंगी और बौैर पर छिड़काव से  नमी होने के कारण परागण ठीक से नहीं हो पाएगा, जिससे फल बहुत कम आएंगे।
 
आम के बागों कों सबसे अधिक भुनगा कीट नुकसान पहुंचाते हैं। इसके शिशु  एवं वयस्क कीट कोमल पत्तियों एवं पुष्पक्रमों का रस चूसकर हानि पहुचाते हैं। इसकी मादा 100-200 तक अंडे नई पत्तियों एवं मुलायम प्ररोह में देती है, और इनका जीवन चक्र 12-22 दिनों में पूरा हो जाता है। इसका  प्रकोप जनवरी-फरवरी से शुरू हो जाता है। इस कीट से बचने के लिए बिवेरिया बेसिआना फफूंद 5 ग्राम को  एक लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करें। या  नीम तेल  2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल का छिड़काव करके भी निजात पाया जा सकता है।
 
बीमारी में सबसे ज्यादा  क्षति सफेद चूर्णी  (पाउडरी मिल्ड्यू)  रोग  से  आम को होता है। बौर आने की अवस्था में यदि मौसम बदली वाला हो या बरसात हो रही हो तो यह बीमारी जल्दी लग जाती है। इस बीमारी के प्रभाव से रोगग्रस्त भाग सफेद दिखाई पड़ने  लगता है। इसकी वजह से मंजरियां और फूल सूखकर गिर जाते हैं। इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही आम के पेड़ों पर 2 ग्राम  गंधक को प्रति लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करें।   आम में गुम्मा रोग भी लगता है , जिसे  गुच्छा रोग भी कहते है । इस रोग में पूरा बौर नपुंसक फूलों का एक ठोस गुच्छा बन जाता है। बीमारी का नियंत्रण ,प्रभावित बौर और शाखाओं को तोड़कर / काट कर  किया जा सकता है। इस रोग से प्रभावित टहनियों मे  कलियां आने की अवस्था में जनवरी- फरवरी  के महीने में पेड़ के बौर तोड़ देना भी लाभदायक रहता है क्योंकि इससे न केवल आम की उपज बढ़ जाती है बल्कि इस बीमारी के आगे फैलने की संभावना भी कम हो जाती है। यदि बागवान अभी से आम की बागों का ध्यान रखते है तो अच्छी फसल आम की प्राप्त कर सकते है।
Facebook Comments