शरद ऋतु
गीत द्वारे द्वारे आ के गावे लागल
पानी सिकुड़ल नदियन के चमक नया भइल
रहल बादल उतपाती कहीं हेरा गइल
गॅवे गॅवे जब डेग शरद बढ़ावे लागल
गीत द्वारे द्वारे आ के गावे लागल
सोन्हापन माटी के फूलन के गंध में
भइले व्यस्त माली कुल अपने प्रबंध में
होरी धनिया के हिया हुलसावे लागल
गीत द्वारे द्वारे आ के गावे लागल
हरियाली लउके जइसे आइल बहार
करेले धरती आपन रातो दिन सिंगार
घमवा दुपहरियो में गुदगुदावे लागल
गीत द्वारे द्वारे आ के गावे लागल
कुछ गुंजन कलियन के गलियन से सुनाता
लागता कहीं भौरा के पंख फड़फड़ाता
प्यास सपना के दिनवो में जगावे लागल
गीत द्वारे द्वारे आ के गावे लागल
चमके ले दूध नीयर चम चम चनरमा
चांदनी के देख बुताइए जाले शमाँ
नौका विहार माझियो करावे लागल
गीत द्वारे द्वारे आ के गावे लागल
शरद ऋतु आपन रंग जमावे लागल
गीत द्वारे द्वारे आ के गावे लागल
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