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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 31 Oct 2021 5:45 PM |   397 views

माटी की मूरत

माटी की मूरत हूँ

 या ईश्वर का कोई करिश्मा 

कहीं सब कुछ हूँ मै 

और कहीं कुछ भी नही 

जुए के पासे पर भी लगी 

अग्नि परीक्षा भी हुई 

किसी की आस बनी 

किसी की प्यास भी हूँ 

कहीं सब कुछ भी नही 

माना की कई रूप हैं मेरे 

आप जिस नज़र से देखो 

वही हूँ मै 

आप देखने का नजरिया तो बदलो 

मुझे भी अपना अधिकार तो दो 

सब कुछ तो नही 

पर बहुत कुछ हूँ मै 

मुझे अपनी पहचान तो दो 

मै माटी की मूरत हूँ 

या ईश्वर का करिश्मा 

(हेमलता सिंह ,बलिया )

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