Saturday 20th of April 2024 07:36:21 AM

Breaking News
  • राहुल गाँधी का बड़ा आरोप , लोगो पर एक इतिहास – एक भाषा भोपना चाहती है बीजेपी |
  • भारतीय रेलवे सुपर एप्प लांच करेगे |
  • मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत , कोर्ट ने 26 अप्रैल तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत |
Facebook Comments
By : Kripa Shankar | Published Date : 4 Sep 2021 5:01 PM |   347 views

सांझ का सच

शहर से आने में रोज सांझ बिता ही देते हो, कभी तो समय से आकर बच्चों की कापी, किताब ,कलम, पेंसिल और रबर की जानकारी ले लिया करो।

इतनी रात गए आने से घर वाले  तो परेशान होते ही हैं , गली और मुहल्ले वाले भी गालियां देकर कुत्तों की हुंकार से बचते हुए तुमको घर में ढकेल कर चले जाते हैं।सुबह तक तुम्हारी खुमार नहीं उतर पाती है।

क्या करूं आभा की अम्मा मुझे भी यहीं लगता है ,लेकिन मन है कि  सब कुछ जान कर भी नहीं मानता। तुम तो जानती हो ,मेरे साथ में काम करने वाले रामू, बोधई और राम लखन  आदि लाख मना करने पर भी  अंत में मुझे गुमराह करके भट्ठी की राह पकड़ा ही देते हैं। कभी- कभी तो ससुरे पैसा भी वहीं सब दे देते हैं।

यहीं तो लोगों की चालाकी समझ लेनी चाहिए, आभा के बापू। वह कुछ जवाब देता और सोचता कि रामू मिस्त्री की आवाज आई अरे ओ किशोरी लाल! चल आज मेरे बहनोई कलकत्ते से आए हैं वहीं बैठकी पर बुला रहे हैं।चखना, चनाचूर और बोतल उन्हीं का रहेगा।

बापू आज कहीं नहीं जाना है ,मुझे स्कूल का फीस तीन महीने से न चुकाने की वजह से नाम कट गया है।मोहन भी स्कूल न जाने से गांव में गलत लड़कों के साथ  बिगड़ रहा है।खाने- पीने की घर में दिक्कत हो गई है। दूध, दाल और चीनी तो महीनों से नहीं देखे हैं।   माला की बात काटते हुए किशोरी  बच्चों की मां रमा को पास में बुलाया और अपनी दारू पीने की दुख भरी कहानी सुना डाला।  किशोरी की बातें सुनकर जो बातें सामने आईं रमा की आंखे भर गई। किशोरी का गला भी बात करते – करते रूंध गया।

तीनों बेटियां आभा,माला,शालिनी और बेटा मोहन भी अपने बापू के दारू पीने की लत और उसके कुप्रभाव को समझ कर अपनी पीड़ा का एहसास दबाए हुए उनको किसी कैंसर अस्पताल में ले जाने की सोचने लगे।

आओ मोती मैं आज कहीं भी नहीं जा सकूंगा।मेरी दोस्ती का साथ निभाते हुए इन बच्चों का ध्यान देना,कहते -कहते रमा की गोंदी में किशोरी जोर जोर से रोने लगा।दोस्तों की बात मानकर परिवार को सड़क पर लाना मेरी पूर्ण जिम्मेदारी है। मैं उनकी बातों में न आता तो हमारे बच्चे पढ़ लिख कर  अपने पैरों पर होते और बेटी आभा की शादी भी कहीं हो गई होती।

सुबह होते- होते आपसी राय मशविरा करके गौरीगंज के  नामी अस्पताल सरिता नर्सिंग होम में लाया गया । डाक्टर भी कितना रुपया ऐंठ लें , तरह- तरह के टेस्ट और जांच में जुट गए।रमा एकादशी की ब्रत थी,खाने के लिए फल आदि न होने पर भूंख से पैर भी हिलने लगे।

किशोरी की हालत और पैसे के अनुपात से लग रहा था की हमदर्दी से कैंसर का इलाज  नहीं  हो पाएगा।आभा की शादी के लिए रखे कुछ पैसे भी खर्च हो गए।
अगले दिन सुबह गौरी गंज और आस- पास के रिश्तेदारों का आना जाना देखकर लग रहा था की अंतिम क्षण बच्चों से किशोरी की मुलाकात नहीं होगी,मगर सेठ साहूकारों से कर्ज लेकर आते – आते सूरज की किरणें आभा मुक्त हो गईं।बेटी शालिनी के साथ बच्चे मुंह तो देख लिए ,पर  तुलसी पानी नसीब नहीं हुआ।

अपने समय पर जीवन का अंत और सांझ का सच देखकर किशोरी के सभी दोस्त हैरान हो गए।रमा के सामने उनकी आंखे नहीं उठ सकीं और उस दिन से प्रायश्चित स्वरूप सभी शराब मुक्त अभियान से जुड़कर शाहपुर के सभी रहवासियों को लेकर अन्य गांवों में  शराब बंदी के लिए जाने लगे।

मित्रों जितना हो सके अपने आस- पास और जानकारी में आने वाले शराब प्रेमियों को उसके दुष्परिणाम ,कैंसर आदि बीमारी होने के बाद परिवार भीख मांगने के कगार पर पहुंच जाता है,बेटियों की बाजार में बेचने की बोली लगाई जाती है, अवश्य समझाएं और अपने गांव,समाज व राष्ट्र को शराब और नशा मुक्त करें।

Facebook Comments